Saturday, December 13, 2025
Home खबर आपकी सीरिया और कुर्द नेतृत्व के बीच समझौता: एक ऐतिहासिक मोड़

सीरिया और कुर्द नेतृत्व के बीच समझौता: एक ऐतिहासिक मोड़

आरती कश्यप

परिचय

सीरिया का गृहयुद्ध, जो 2011 में शुरू हुआ था, न केवल एक स्थानीय संघर्ष था, बल्कि इसने पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र और वैश्विक राजनीति को प्रभावित किया। इस गृहयुद्ध के दौरान, सीरिया के कुर्द समुदाय ने अपनी पहचान और अधिकारों के लिए संघर्ष किया। कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) से जुड़े समूहों और सीरियाई कुर्दों के बीच एक जटिल गठबंधन और संघर्ष की स्थिति बनी रही, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय शक्तियां भी शामिल थीं।

सीरिया में कुर्द नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, खासकर जब से 2014 में ISIS के खिलाफ संघर्ष में वे प्रमुख भूमिका निभाने लगे। कुर्द सैन्य बलों, जैसे कि यज़ीदी (YPG) और एसडीएफ (Syrian Democratic Forces), ने अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा और स्वायत्तता के लिए संघर्ष किया। इसके बावजूद, सीरिया के नेतृत्व और कुर्द समुदाय के बीच एक गहरी कूटनीतिक और सैन्य विभाजन बना हुआ था।

लेकिन हाल ही में, सीरिया और कुर्द नेतृत्व के बीच हुए समझौते ने एक नई दिशा की ओर इशारा किया है। यह समझौता, जो कई सालों के संघर्ष और गतिरोध के बाद हुआ, सीरिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम इस समझौते के ऐतिहासिक संदर्भ, इसके प्रमुख पहलुओं, दोनों पक्षों के लिए इसके प्रभाव, और इसे लेकर भविष्य की संभावनाओं पर गहराई से चर्चा करेंगे।

1. सीरिया का गृहयुद्ध: पृष्ठभूमि और कुर्दों की भूमिका

सीरिया का गृहयुद्ध 2011 में विरोध प्रदर्शनों के साथ शुरू हुआ था, जो जल्द ही एक पूर्ण सैन्य संघर्ष में बदल गया। यह संघर्ष असद शासन और विरोधी समूहों के बीच था, जिसमें विभिन्न धर्म, जाति, और राजनीतिक विचारधारा वाले समूहों ने अपनी जगह बनाई। इस युद्ध ने सीरिया को बर्बाद कर दिया और लाखों लोगों की जान ली।

सीरिया का कुर्द समुदाय, जो मुख्य रूप से उत्तरी और पूर्वी सीरिया में बसा हुआ है, गृहयुद्ध के प्रारंभिक वर्षों में संघर्ष में सीधे तौर पर शामिल नहीं था। हालांकि, जब ISIS ने अपनी गतिविधियाँ शुरू कीं, तो सीरिया के कुर्दों ने अपनी रक्षा के लिए सक्रिय रूप से संघर्ष किया और इस दौरान उनके पास जो सैन्य ताकत थी, वह यज़ीदी (YPG) थी। कुर्दों ने ISIS से अपनी भूमि को बचाने के लिए अमेरिकी सैन्य समर्थन प्राप्त किया।

कुर्द नेतृत्व ने क्षेत्रीय स्वायत्तता और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष किया, जिससे सीरिया सरकार और क्षेत्रीय शत्रु जैसे तुर्की के बीच उनकी स्थिति को लेकर तनाव बढ़ा। सीरिया के असद शासन ने कभी भी कुर्दों को पूरी तरह से सत्ता में शामिल करने या उनके अधिकारों को पूरी तरह से स्वीकारने का संकेत नहीं दिया। इसके बावजूद, सीरिया में कुर्दों की स्थिति एक अहम राजनीतिक सवाल बन गई।

2. सीरिया और कुर्द नेतृत्व के बीच गतिरोध

सीरिया और कुर्द नेतृत्व के बीच गतिरोध लंबे समय से बना हुआ था। असद शासन ने सीरिया के उत्तर-पूर्वी हिस्से में कुर्दों के स्वायत्तता की ओर बढ़ने के खिलाफ एक कठोर नीति अपनाई थी। वहीं, तुर्की, जो कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) के खिलाफ युद्ध कर रहा था, कुर्दों की स्वायत्तता की हर कोशिश का विरोध करता रहा। इस गतिरोध के बावजूद, कुछ वार्ताएँ और समझौते हुए, लेकिन इनसे वास्तविक राजनीतिक समाधान कभी नहीं निकल सका।

सीरिया सरकार और कुर्द नेतृत्व के बीच सहयोग के कई प्रयासों के बावजूद, यह स्पष्ट था कि असद शासन कुर्दों को पूरी तरह से स्वायत्तता देने के लिए तैयार नहीं था। इसके बजाय, सीरिया सरकार ने धीरे-धीरे कुर्दों के अधिकारों को नकारने की कोशिश की और उनके सैन्य प्रयासों को कमजोर करने के लिए कई आक्रमण किए।

वहीं, कुर्दों के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति थी। उन्हें एक तरफ सीरिया सरकार और दूसरी तरफ तुर्की से दबाव का सामना करना पड़ रहा था। इसके बावजूद, वे अपनी क्षेत्रीय स्वायत्तता और सुरक्षा के लिए संघर्ष करते रहे, और उन्हें कुछ अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी मिला।

3. समझौते की पृष्ठभूमि: संघर्ष के बाद का राजनीतिक बदलाव

सीरिया और कुर्द नेतृत्व के बीच समझौता एक बड़े राजनीतिक बदलाव के परिणामस्वरूप आया। इस समझौते के संभावित कारणों में प्रमुख थे:

1. सीरिया सरकार की स्थिति: सीरिया सरकार ने असद के शासन की सुरक्षा और पुनर्निर्माण की ओर कदम बढ़ाया, खासकर जब से युद्ध में उसके पक्ष में निर्णायक मोड़ आया। 2018 के बाद, जब सीरिया के अधिकांश हिस्से पर असद शासन का नियंत्रण पुनः स्थापित हुआ, तो यह स्पष्ट हो गया कि सीरिया सरकार अब कुर्दों के साथ एक नए राजनीतिक समझौते की ओर बढ़ने के लिए तैयार थी।

2. कुर्दों का सैन्य और राजनीतिक दबाव: कुर्दों ने सीरिया में अपनी स्वायत्तता बनाए रखने के लिए सैन्य बलों का गठन किया और पश्चिमी देशों से समर्थन प्राप्त किया। यद्यपि अमेरिकी सैनिकों ने कुर्दों का साथ दिया, लेकिन 2019 में अमेरिका द्वारा अपने सैनिकों की वापसी ने कुर्दों को असमंजस में डाल दिया। इस स्थिति ने कुर्द नेतृत्व को यह समझने पर मजबूर किया कि उन्हें एक ऐसे राजनीतिक समझौते की आवश्यकता है, जो उनकी स्वायत्तता को सुरक्षित रखे।

3. तुर्की का दबाव: तुर्की ने हमेशा कुर्दों के स्वायत्तता और उनके सैन्य संगठन PKK को एक बड़ा खतरा माना है। तुर्की के दबाव को देखते हुए, सीरिया और कुर्दों को एक समझौते के लिए तैयार होना पड़ा, ताकि वे तुर्की के बढ़ते सैन्य दबाव से बच सकें।

4. अंतरराष्ट्रीय दबाव: सीरिया और कुर्दों के बीच एक समझौते की दिशा में बढ़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से रूस और अमेरिका, ने भी भूमिका निभाई। रूस, जो सीरिया सरकार का प्रमुख सहयोगी है, ने सीरिया और कुर्दों के बीच एक समझौते को बढ़ावा देने की कोशिश की, ताकि सीरिया के पुनर्निर्माण और शांति प्रक्रिया को गति मिल सके। अमेरिका ने भी कुर्दों के साथ अपने रिश्तों को बनाए रखने के लिए दबाव डाला, लेकिन उन्होंने सीरिया सरकार और कुर्दों के बीच सीधी वार्ता को बढ़ावा दिया।

4. समझौते के प्रमुख बिंदु

सीरिया और कुर्द नेतृत्व के बीच हुए समझौते के कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार थे:

1. स्वायत्तता का सवाल: इस समझौते में कुर्दों की स्वायत्तता का सवाल प्रमुख था। सीरिया सरकार ने कुर्दों को कुछ अधिकार देने पर सहमति व्यक्त की, विशेष रूप से उत्तरी सीरिया के क्षेत्रों में उनके प्रशासनिक अधिकारों को मान्यता दी। हालांकि, इस स्वायत्तता को सीमित किया गया था और यह असद शासन के नियंत्रण में रहना था।

2. सुरक्षा की स्थिति: सीरिया सरकार और कुर्दों ने मिलकर क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक साझा रणनीति तैयार की। इसमें ISIS और तुर्की समर्थित विपक्षी समूहों के खिलाफ संयुक्त सैन्य अभियानों की योजना बनाई गई।

3. नागरिक अधिकार: कुर्दों को नागरिक अधिकारों की गारंटी दी गई, जिसमें उनकी भाषा, संस्कृति और धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा शामिल थी। हालांकि, यह अधिकार सीमित थे और सीरिया के संविधान के तहत थे।

4. तुर्की से सुरक्षा: तुर्की के बढ़ते सैन्य दबाव के मद्देनज़र, सीरिया और कुर्दों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें तुर्की से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त सैन्य उपायों को शामिल किया गया था। इस समझौते का उद्देश्य तुर्की के खिलाफ सैन्य रूप से जवाबी कार्रवाई करना था, ताकि कुर्द क्षेत्र पर तुर्की का नियंत्रण न बढ़े।

5. समझौते का प्रभाव

सीरिया और कुर्द नेतृत्व के बीच समझौते ने दोनों पक्षों पर कई महत्वपूर्ण प्रभाव डाले:

1. सीरिया की राजनीति में स्थिरता: सीरिया सरकार के लिए यह समझौता एक महत्वपूर्ण कदम था, क्योंकि इससे सीरिया में स्थिरता को बढ़ावा मिला और असद शासन ने यह दिखाया कि वह अपने विरोधियों से समझौते करने के लिए तैयार है। इससे सीरिया में एक मजबूत केंद्रीय शासन की पुनः स्थापना की दिशा में मदद मिली।

2. कुर्दों के अधिकारों की सुरक्षा: कुर्दों के लिए यह समझौता एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि इसमें उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय किए गए थे। हालांकि, यह समझौता सीरिया सरकार के तहत था, लेकिन इससे कुर्दों को अपनी स्वायत्तता बनाए रखने का अवसर मिला।

3. तुर्की का विरोध: तुर्की, जो हमेशा कुर्दों की स्वायत्तता का विरोध करता आया है, इस समझौते से नाराज था। तुर्की ने इसे सीरिया की सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखा और इसका विरोध किया। तुर्की ने कुर्द क्षेत्रों पर सैन्य आक्रमण की धमकी दी, जिससे सीरिया में स्थिति और अधिक जटिल हो गई।

4. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया: अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस समझौते को मिलीजुली प्रतिक्रिया दी। रूस ने इस समझौते का स्वागत किया, क्योंकि यह सीरिया की राष्ट्रीय एकता की ओर एक कदम था। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने भी इसे समर्थन दिया, लेकिन उन्होंने कुर्दों की स्वायत्तता की सुरक्षा की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।

6. भविष्य की दिशा

सीरिया और कुर्द नेतृत्व के बीच इस समझौते के बावजूद, सीरिया की राजनीतिक स्थिति में पूरी तरह से स्थिरता आने में समय लगेगा। तुर्की का विरोध और सीरिया के भीतर कई अन्य संघर्षशील समूहों की स्थिति को देखते हुए, यह समझौता एक दीर्घकालिक समाधान की ओर पहला कदम हो सकता है।

कुर्दों के लिए यह समझौता एक ऐतिहासिक उपलब्धि हो सकता है, लेकिन असद शासन और तुर्की के साथ उनके रिश्ते भविष्य में और अधिक जटिल हो सकते हैं। इसके बावजूद, यह समझौता सीरिया के पुनर्निर्माण और शांति प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम है और मध्य पूर्व में शांति की दिशा में एक अहम मोड़ हो सकता है।

निष्कर्ष

सीरिया और कुर्द नेतृत्व के बीच हुए इस समझौते ने एक नई कूटनीतिक दिशा की ओर इशारा किया है, जो न केवल सीरिया के भविष्य के लिए, बल्कि मध्य पूर्व के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है। हालांकि, इसके कई पक्षों में चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन यह समझौता दोनों पक्षों के लिए एक नई उम्मीद और दिशा प्रदान करता है।

RELATED ARTICLES

भारत में बिजली संकट की चेतावनी: कारण, प्रभाव और समाधान

आरती कश्यप भूमिका बिजली किसी भी देश की आर्थिक, औद्योगिक और सामाजिक प्रगति के लिए...

महात्मा गांधी के पोते की टिप्पणी: भारतीय राजनीति और समाज पर एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण

आरती कश्यप परिचय महात्मा गांधी, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और अहिंसा के...

भारत और पाकिस्तान के बीच सीरीज की तारीखें घोषित

आरती कश्यप भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट सीरीज का आयोजन हमेशा से ही क्रिकेट प्रेमियों के बीच चर्चा...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

खतरनाक रास्ते पर बस ड्राइवर का साहस: एक अद्वितीय साहसिक कहानी

आरती कश्यप हमारे रोज़मर्रा के जीवन में कई ऐसे लोग होते हैं, जिनकी मेहनत और साहस की कहानियाँ अक्सर...

ई-रिक्शा में नजर आए चाहत फतेह अली खान: एक नई पहल की शुरुआत

आरती कश्यप हाल ही में, मशहूर गायक और संगीतकार चाहत फतेह अली खान ने एक अनोखी पहल की शुरुआत...

जियो का आईपीएल ऑफर: क्रिकेट प्रेमियों के लिए शानदार सौगात

आरती कश्यप इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2025 की शुरुआत 22 मार्च से होने जा रही है, और क्रिकेट प्रेमियों...

शीतला अष्टमी का पर्व: रोग नाशक देवी की आराधना

आरती कश्यप भूमिका शीतला अष्टमी, जिसे बसोड़ा पर्व के नाम से भी जाना जाता है,...

Recent Comments