Saturday, December 13, 2025
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UP विधानसभा परिसर में पान-मसाला और गुटखा पर लगा बैन

उत्तर प्रदेश विधानसभा परिसर में पान-मसाला और गुटखा पर प्रतिबंध: एक ऐतिहासिक निर्णय

उत्तर प्रदेश विधानसभा परिसर में पान-मसाला और गुटखा पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय एक महत्वपूर्ण और प्रशंसनीय कदम है। यह निर्णय राज्य सरकार द्वारा स्वच्छता, स्वास्थ्य और अनुशासन को बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। भारतीय राजनीति में यह पहला मौका नहीं है जब सरकारी परिसरों में तंबाकू उत्पादों पर रोक लगाई गई हो, लेकिन यूपी सरकार का यह कदम एक मिसाल पेश करता है।

इस लेख में हम इस प्रतिबंध के कारण, प्रभाव, संभावित चुनौतियों और भविष्य की दिशा पर चर्चा करेंगे।

1. विधानसभा परिसर में पान-मसाला और गुटखा पर प्रतिबंध: क्या है निर्णय?

उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने हाल ही में एक आदेश जारी कर विधानसभा परिसर में पान-मसाला, गुटखा और अन्य तंबाकू उत्पादों के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है

यह आदेश सभी विधायकों, कर्मचारियों और आगंतुकों पर लागू होगा।
विधानसभा परिसर में कोई भी व्यक्ति गुटखा, पान-मसाला, तंबाकू या किसी अन्य प्रकार के नशे का सेवन नहीं कर सकता।
यदि कोई इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उस पर जुर्माना और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में यह निर्णय स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है

2. इस फैसले की आवश्यकता क्यों पड़ी?

(क) विधानसभा परिसर की स्वच्छता और मर्यादा बनाए रखना

उत्तर प्रदेश विधानसभा राज्य की सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्थाओं में से एक है। लेकिन कई बार विधानसभा के गलियारों, बाथरूम, सीढ़ियों और दीवारों पर पान और गुटखे की पीक के दाग देखे गए हैं

  • विधायकों और सरकारी अधिकारियों द्वारा परिसर में गुटखा और तंबाकू खाने की तस्वीरें वायरल हुईं।
  • इससे संसदीय गरिमा और स्वच्छता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
  • सार्वजनिक स्थानों को स्वच्छ रखने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था।

(ख) स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव

गुटखा और तंबाकू के सेवन से कैंसर, दांतों की बीमारी, फेफड़ों की समस्याएं और हृदय रोग होते हैं

  • भारत में हर साल लाखों लोग तंबाकू से संबंधित बीमारियों के कारण मरते हैं।
  • उत्तर प्रदेश में गुटखा और पान-मसाला खाने वालों की संख्या बहुत अधिक है
  • सरकारी अधिकारी और विधायक जनता के सामने उदाहरण पेश करते हैं, इसलिए यह जरूरी था कि वे खुद भी तंबाकू के सेवन से बचें।

(ग) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति

  • स्वच्छ भारत अभियान के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार भारत को स्वच्छ बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रदेश में स्वच्छता और अनुशासन लागू करने पर जोर देते रहे हैं।
  • इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी दफ्तरों में गुटखा और पान-मसाला पर प्रतिबंध लगाया था

3. अन्य सरकारी दफ्तरों में भी लागू हो सकता है प्रतिबंध?

उत्तर प्रदेश विधानसभा में पान-मसाला और गुटखा पर प्रतिबंध लगाने के बाद, अब सवाल उठ रहा है कि क्या इसे अन्य सरकारी दफ्तरों, स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर भी लागू किया जाएगा?

2019 में उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी सरकारी कार्यालयों में गुटखा और पान-मसाला खाने पर रोक लगाई थी।
बिहार, महाराष्ट्र और दिल्ली में भी सरकारी दफ्तरों में तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया गया है।

(क) सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध

  • कई सरकारी कर्मचारी दफ्तरों में गुटखा और पान-मसाला खाते हैं और उसकी पीक दीवारों और फर्श पर थूक देते हैं।
  • यदि विधानसभा में यह प्रतिबंध सफल रहा, तो इसे सभी सरकारी दफ्तरों में लागू किया जा सकता है।

(ख) स्कूल-कॉलेजों में प्रतिबंध

  • छात्रों में तंबाकू के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति चिंता का विषय है।
  • यदि सरकारी शिक्षण संस्थानों में भी ऐसा प्रतिबंध लगाया जाए, तो यह नई पीढ़ी को नशे की लत से बचाने में मददगार होगा।

4. इस फैसले के लाभ

विधानसभा परिसर साफ-सुथरा रहेगा।
विधायकों और कर्मचारियों की सेहत सुधरेगी।
प्रदेश में गुटखा और तंबाकू के खिलाफ जागरूकता बढ़ेगी।
अन्य सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों पर भी तंबाकू नियंत्रण के लिए प्रेरणा मिलेगी।

5. क्या इस प्रतिबंध को लागू करना आसान होगा?

कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या इस प्रतिबंध को सख्ती से लागू किया जा सकेगा?

पहले भी सरकारी कार्यालयों में गुटखा और तंबाकू पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन यह पूरी तरह सफल नहीं हुआ।
बिना निगरानी और सख्त कार्रवाई के ऐसे प्रतिबंध प्रभावी नहीं होते।
कुछ विधायक और अधिकारी इसे अनदेखा कर सकते हैं, जिससे इसका प्रभाव कम हो सकता है।

(क) निगरानी और जुर्माने का प्रावधान जरूरी

  • विधानसभा परिसर में CCTV कैमरों की मदद से निगरानी करनी होगी।
  • जो लोग इस नियम का पालन नहीं करेंगे, उन पर भारी जुर्माना लगाया जाए।
  • सुरक्षा गार्डों को निर्देश दिए जाएं कि वे किसी को भी गुटखा खाते हुए पकड़ें।

(ख) जनप्रतिनिधियों का सहयोग जरूरी

  • यदि विधायक और मंत्री खुद इस नियम का पालन करेंगे, तो कर्मचारियों और आम लोगों के लिए इसे मानना आसान होगा।
  • विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी विधायक इस फैसले का सम्मान करें।

6. विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया

इस फैसले का अधिकतर विपक्षी दलों ने समर्थन किया है, लेकिन कुछ नेताओं ने कहा है कि यह केवल दिखावा है

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने कहा कि सरकार को विधानसभा से ज्यादा प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए।
कुछ नेताओं ने कहा कि यह प्रतिबंध तभी सफल होगा जब इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।

7. जनता की राय

इस फैसले पर आम जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है।

स्वच्छता के समर्थकों ने इसका स्वागत किया और कहा कि यदि सार्वजनिक स्थानों को साफ रखना है, तो यह जरूरी कदम है।
कुछ लोगों ने इसे “अनावश्यक प्रतिबंध” बताया और कहा कि लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए।

8. निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश विधानसभा परिसर में पान-मसाला और गुटखा पर प्रतिबंध एक महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम है

यह फैसला स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए जरूरी था।
यदि इसे सही ढंग से लागू किया गया, तो यह एक मिसाल बन सकता है।
यह प्रतिबंध केवल विधानसभा तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाना चाहिए।

“एक स्वच्छ और स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए, ऐसे सख्त नियम लागू करना जरूरी है। उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।”

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