आरती कश्यप
परिचय:
भारतीय राजनीति में कोई भी चुनावी और सियासी घटना बिना विपक्षी दलों द्वारा आरोपों और प्रत्यारोपों के बिना समाप्त नहीं होती। ऐसी ही एक राजनीतिक घटना हाल ही में देखने को मिली जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की नीतियों, कार्यों और फैसलों पर आलोचनाओं की झड़ी लगाते हुए उन पर विभिन्न मोर्चों पर विफलता का आरोप लगाया।
यह हमला कोई सामान्य आरोप नहीं था। इसमें न केवल मोदी सरकार के शासन की आलोचना की गई, बल्कि कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत छवि, उनकी नीतियों के प्रभाव, और भारतीय राजनीति में उनके व्यक्तिगत योगदान पर भी सवाल उठाए। प्रधानमंत्री मोदी पर कांग्रेस का यह हमला एक तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि यह लंबे समय से चल रही राजनीतिक बहस का हिस्सा था।
इस लेख में हम इस हमले के प्रमुख बिंदुओं, कांग्रेस की ओर से लगाए गए आरोपों, और भारतीय राजनीति में इसके असर का गहराई से विश्लेषण करेंगे। साथ ही, हम यह भी देखेंगे कि कांग्रेस के इस हमले का मोदी सरकार के समक्ष क्या चुनौती उत्पन्न हो सकती है और आने वाले समय में इसका राजनीतिक परिप्रेक्ष्य क्या हो सकता है।
1. कांग्रेस का मोदी पर हमला: शुरुआत और प्रमुख बिंदु
कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कई मुद्दों को उठाया। इन मुद्दों में बेरोजगारी, किसान आंदोलन, आर्थिक मंदी, और विदेश नीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल थे। कांग्रेस ने मोदी सरकार को ‘जुमलेबाज’ और ‘नकली वादों का सरकार’ करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी भाषणों में जो वादे किए थे, वे अब तक पूरे नहीं हुए हैं।
कांग्रेस के प्रमुख आरोपों की सूची:
- बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था: कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि उनकी नीतियों के कारण देश में बेरोजगारी की दर में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद “दो करोड़ रोजगार प्रति वर्ष” देने का वादा किया था, लेकिन कांग्रेस के अनुसार यह वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है। इसके अलावा, मोदी सरकार के तहत जीडीपी की विकास दर में गिरावट आई है, जो अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है।
- किसान आंदोलन और कृषि कानून: कांग्रेस ने मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध किया और आरोप लगाया कि ये कानून किसानों के खिलाफ हैं। किसान यूनियनों का कहना था कि इन कानूनों से उनका नुकसान होगा और बड़े कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा। कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार ने किसानों की समस्याओं को अनदेखा किया और कृषि कानूनों को पारित करने में जल्दबाजी की। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ एक व्यापक अभियान चलाया।
- मुद्रा योजना और जनधन योजना की विफलता: मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई मुद्रा योजना और जनधन योजना पर भी कांग्रेस ने सवाल उठाए। कांग्रेस के मुताबिक इन योजनाओं का असली उद्देश्य केवल चुनावी लाभ प्राप्त करना था, और वास्तविक रूप में इन योजनाओं से जनता को कोई विशेष फायदा नहीं हुआ।
- विकास का असल हक: कांग्रेस का कहना था कि मोदी सरकार ने विकास का दावा तो किया, लेकिन यह केवल चुनावी प्रचार था। यूपीए सरकार के दौरान शुरू की गई कई योजनाओं को मोदी सरकार ने अपने नाम पर प्रचारित किया, जबकि इन योजनाओं की जड़ें यूपीए सरकार में थीं। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री और निजीकरण को बढ़ावा दिया, जिससे रोजगार के अवसर कम हुए।
- भारत-चीन सीमा विवाद: कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि भारत-चीन सीमा विवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने देशवासियों को झूठी उम्मीदें दीं। कांग्रेस के नेताओं ने दावा किया कि मोदी सरकार चीन से सख्त शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर पाई और चीन की तरफ से भारतीय सीमा में घुसपैठ की घटनाओं पर किसी ठोस कदम की कमी दिखाई दी।
2. आधिकारिक बयान और कांग्रेस के नेता:
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर कई बार हमला बोला है। राहुल गांधी का आरोप था कि मोदी ने “हाथी के पैरों के निशान” की तरह अपना प्रचार किया, लेकिन उनके कामकाज ने देश को कोई फायदा नहीं पहुँचाया। राहुल गांधी के अलावा, कांग्रेस पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं जैसे प्रियंका गांधी वाड्रा, कपिल सिब्बल, और रणदीप सुरजेवाला ने भी मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और उन्हें विफल करार दिया।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने खासकर महिला सशक्तिकरण, रोजगार, और बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार की विफलता को सार्वजनिक मंचों पर उजागर किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने न्यायपालिका और संवैधानिक संस्थाओं के साथ मोदी सरकार के रिश्ते पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि मोदी सरकार ने लोकतंत्र के आधारभूत ढाँचे को कमजोर किया है।
3. मोदी सरकार का जवाब:
जहां कांग्रेस ने मोदी सरकार पर कई हमले किए, वहीं प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने इन आरोपों का जोरदार जवाब दिया। मोदी सरकार ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह केवल “विपक्षी राजनीति” के तहत हमला कर रही है और उसे देश की जनता के कल्याण से कोई फर्क नहीं पड़ता।
- बेरोजगारी के आंकड़े: मोदी सरकार ने यह दावा किया कि कांग्रेस की आलोचना के बावजूद, भारत ने वैश्विक मंदी के बावजूद रोजगार सृजन में सुधार किया है। सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और रोजगार मेलों के तहत लाखों युवाओं को नौकरी देने का दावा किया।
- किसान आंदोलन: मोदी सरकार ने किसान आंदोलन को राजनीतिक एजेंडे के तहत उठाया और इसे गलत सूचना का परिणाम बताया। सरकार ने कृषि कानूनों के लाभ को लेकर कई जागरूकता अभियानों का आयोजन किया और दावा किया कि ये कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं।
- विकास के कदम: प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर यह आरोप लगाया कि वह अपने शासनकाल में कई योजनाओं को राजनीति के कारण सही तरीके से लागू नहीं कर पाई। उन्होंने अपनी सरकार के विकास कार्यों का जिक्र किया, जैसे सड़कों का निर्माण, डिजिटल इंडिया, और स्वच्छ भारत अभियान। मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने उन योजनाओं को लागू किया, जो पहले कभी लागू नहीं हो पाई।
- भारत-चीन संबंध: सीमा विवाद पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को हर प्रकार का समर्थन दिया गया और चीन की हर घुसपैठ का मुकाबला किया गया। उनका कहना था कि कांग्रेस को पहले यह समझना चाहिए कि सीमा विवाद कोई चुनावी मुद्दा नहीं है।
4. कांग्रेस का मोदी पर हमला: मीडिया और सोशल मीडिया पर असर
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर अपने हमलों को केवल संसद और सार्वजनिक मंचों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इन आरोपों को सोशल मीडिया और विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों पर भी फैलाया। कांग्रेस के नेताओं ने मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर व्यापक अभियानों की शुरुआत की और मोदी सरकार की आलोचना की।
इस प्रयास के तहत कांग्रेस ने डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करके अपने समर्थन को मजबूत करने की कोशिश की। कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर कई हैशटैग अभियान चलाए, जैसे #ModiFailedIndia और #ModiMaoist, जिनका उद्देश्य मोदी सरकार के खिलाफ जन जागरूकता फैलाना था।
5. कांग्रेस और मोदी के बीच की राजनीतिक दुश्मनी
कांग्रेस और मोदी के बीच की राजनीतिक दुश्मनी केवल मुद्दों तक सीमित नहीं रही। यह दुश्मनी व्यक्तिगत और आदर्शिक रूप से भी गहरी हो गई है। राहुल गांधी और मोदी के बीच लगातार बयानबाजी होती रही है। कांग्रेस ने मोदी की नेतृत्व शैली और उनके द्वारा लिए गए फैसलों पर सवाल उठाया है, जबकि मोदी ने हमेशा कांग्रेस को “परिवारवादी पार्टी” और “घोटालों की पार्टी” के रूप में प्रस्तुत किया है।
6. निष्कर्ष:
कांग्रेस का मोदी पर हमला भारतीय राजनीति में एक नई परिभाषा प्रस्तुत कर रहा है। जहां एक ओर मोदी सरकार ने अपनी नीतियों और कार्यों का बचाव किया, वहीं कांग्रेस ने इन योजनाओं और उनके क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस हमले का राजनीतिक असर दूरगामी हो सकता है, क्योंकि यह आगामी चुनावों के संदर्भ में पार्टी रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है।
हालांकि, कांग्रेस और मोदी के बीच यह संघर्ष निश्चित रूप से न केवल वर्तमान राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि भविष्य में भारतीय राजनीति की दिशा पर भी महत्वपूर्ण असर डालेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस इस हमले के जरिए मोदी सरकार को कोई बड़ा राजनीतिक नुकसान पहुँचाने में सफल होती है, या फिर मोदी सरकार इन हमलों के बावजूद अपने समर्थकों और जनता के बीच अपनी स्थिति बनाए रखेगी।




