आपदा प्रबंधन पर आलोचना: चुनौतियाँ, कमजोरियाँ और सुधार के उपाय
आपदा प्रबंधन किसी भी देश की सुरक्षा और संरचनात्मक स्थिरता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से प्राकृतिक या मानव-निर्मित आपदाओं से निपटा जाता है, ताकि जान-माल की क्षति को कम किया जा सके। हालाँकि, भारत सहित कई देशों में आपदा प्रबंधन की प्रक्रिया में कई खामियाँ और चुनौतियाँ बनी हुई हैं। इन कमियों के कारण आपदा के समय राहत और पुनर्वास कार्य प्रभावी तरीके से संचालित नहीं हो पाते। इस लेख में हम आपदा प्रबंधन पर आलोचना, इसकी प्रमुख समस्याएँ, सरकारी विफलताएँ और इसके सुधार के संभावित उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
आपदा प्रबंधन की प्रमुख कमजोरियाँ
1. प्रतिक्रिया में देरी
आपदा प्रबंधन की सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया अक्सर धीमी होती है। जब कोई आपदा आती है, तो राहत और बचाव कार्यों में समय लगता है, जिससे जान-माल का नुकसान बढ़ जाता है।
उदाहरण के लिए, 2013 की केदारनाथ त्रासदी के दौरान, राहत अभियान में समन्वय की कमी के कारण हजारों लोग मारे गए। आपातकालीन सेवाएँ समय पर नहीं पहुँच पाईं, जिससे भारी नुकसान हुआ।
2. खराब पूर्वानुमान और तैयारी की कमी
भले ही वैज्ञानिक प्रगति ने हमें आपदाओं के पूर्वानुमान में सहायता दी हो, लेकिन कई बार मौसम विज्ञान और आपदा पूर्वानुमान प्रणालियाँ सटीक जानकारी देने में विफल रहती हैं। इससे सरकारें और जनता समय रहते तैयार नहीं हो पातीं।
2018 की केरल बाढ़ इसका एक उदाहरण है, जहाँ बारिश के अनुमान को हल्के में लिया गया और पर्याप्त तैयारी नहीं की गई।
3. आपदा प्रबंधन संरचना की कमजोरी
भारत में आपदा प्रबंधन के लिए कई सरकारी एजेंसियाँ और विभाग कार्यरत हैं, लेकिन इनमें समन्वय की कमी स्पष्ट रूप से देखी जाती है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल का अभाव राहत कार्यों को प्रभावित करता है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के बीच सामंजस्य की कमी राहत और बचाव कार्यों में देरी का प्रमुख कारण बनती है।
4. वित्तीय संसाधनों की कमी और भ्रष्टाचार
आपदा प्रबंधन के लिए बजट निर्धारित किया जाता है, लेकिन राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए धनराशि अक्सर अपर्याप्त होती है या भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। कई बार यह देखने में आया है कि राहत सामग्री सही तरीके से वितरित नहीं की जाती और जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुँच पाती।
उदाहरण के तौर पर, बिहार में आई बाढ़ के दौरान राहत सामग्री में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए, जहाँ जरूरतमंदों तक भोजन और दवाइयाँ समय पर नहीं पहुँचीं।
5. जागरूकता और प्रशिक्षण की कमी
आपदा से बचाव और उससे निपटने के लिए जनता को जागरूक और प्रशिक्षित करने की सख्त जरूरत है। लेकिन यह क्षेत्र अभी भी सरकार की प्राथमिकता में नहीं दिखता। स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों में आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण को शामिल नहीं किया जाता, जिससे आपदा के समय आम नागरिक घबराहट में सही कदम नहीं उठा पाते।
6. पुनर्वास की धीमी प्रक्रिया
आपदा के बाद पुनर्वास एक महत्वपूर्ण कार्य होता है, लेकिन कई बार यह प्रक्रिया धीमी होती है। प्रभावित परिवारों को सही समय पर मुआवजा और पुनर्वास सेवाएँ नहीं मिल पातीं, जिससे उनकी तकलीफें और बढ़ जाती हैं।
उदाहरण के लिए, 2001 के गुजरात भूकंप के बाद पुनर्वास कार्यों में अत्यधिक देरी हुई, जिससे हजारों लोग सालों तक बिना स्थायी आवास के रहे।
आपदा प्रबंधन की आलोचना और सुधार की दिशा
1. त्वरित और प्रभावी आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली
सरकारों को चाहिए कि वे आपदा प्रतिक्रिया तंत्र को अधिक प्रभावी बनाएँ। बचाव और राहत कार्यों के लिए एक केंद्रीकृत कमांड सेंटर स्थापित किया जाना चाहिए, जो हर राज्य में त्वरित निर्णय ले सके।
2. अत्याधुनिक पूर्वानुमान प्रणाली
आपदा पूर्वानुमान प्रणाली को मजबूत करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), सैटेलाइट डेटा और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। इससे सही समय पर चेतावनी जारी की जा सकेगी और जान-माल की क्षति को कम किया जा सकेगा।
3. आपदा प्रबंधन में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण
राहत कार्यों में भ्रष्टाचार रोकने के लिए पारदर्शिता आवश्यक है। सरकारी फंड के उपयोग की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी बनाई जानी चाहिए, जो राहत सामग्री और धनराशि के सही इस्तेमाल को सुनिश्चित कर सके।
4. स्थानीय प्रशासन और नागरिक भागीदारी को बढ़ावा
स्थानीय प्रशासन को सशक्त बनाया जाना चाहिए और आम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। आपदा के समय स्थानीय समुदाय सबसे पहले प्रतिक्रिया करता है, इसलिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे त्वरित राहत कार्यों में प्रशासन की मदद कर सकें।
5. आपदा प्रबंधन शिक्षा और प्रशिक्षण
स्कूलों और कॉलेजों में आपदा प्रबंधन को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए। इसके अलावा, कार्यस्थलों पर नियमित आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण आयोजित किए जाने चाहिए।
6. पुनर्वास कार्यों में तेजी
पुनर्वास कार्यों की प्रक्रिया को तेज करने के लिए तकनीकी समाधानों का उपयोग किया जाना चाहिए। बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली और डिजिटल भुगतान जैसी तकनीकों के माध्यम से प्रभावित लोगों को शीघ्र सहायता प्रदान की जा सकती है।
7. आपदा प्रबंधन में अंतरराष्ट्रीय सहयोग
भारत को अन्य देशों से आपदा प्रबंधन के बेहतरीन उदाहरणों को अपनाना चाहिए। जापान और अमेरिका जैसे देशों की आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली अत्यधिक प्रभावी है, और भारत को उनसे सीखने की जरूरत है।
निष्कर्ष
आपदा प्रबंधन में सुधार लाने के लिए सरकार, प्रशासन और आम जनता को मिलकर काम करने की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि वह त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली विकसित करे, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करे, पूर्वानुमान प्रणालियों को उन्नत करे और नागरिकों को जागरूक बनाए।
जब तक आपदा प्रबंधन को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक आपदाओं से होने वाली क्षति को कम नहीं किया जा सकेगा। सरकार और समाज को मिलकर एक मजबूत, पारदर्शी और प्रभावी आपदा प्रबंधन तंत्र तैयार करना चाहिए ताकि भविष्य में आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

