Saturday, December 13, 2025
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महाकुंभ में 43वें दिन भी श्रद्धालुओं का उत्साह

महाकुंभ, भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का एक भव्य संगम है, जो अपने आप में विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है। महाकुंभ के 43वें दिन भी श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर दिखाई दिया। संगम तट पर स्नान करने और आस्था की डुबकी लगाने के लिए लाखों श्रद्धालु देश के विभिन्न हिस्सों से पहुँच रहे हैं। इन श्रद्धालुओं के उत्साह और ऊर्जा ने महाकुंभ के वातावरण को और भी अधिक दिव्य और आध्यात्मिक बना दिया है।

सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें संगम घाट पर नजर आने लगी थीं। सूर्योदय के साथ ही भक्तों ने गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाई। मान्यता है कि संगम में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रद्धालु स्नान के पश्चात घाटों पर पूजा-पाठ, मंत्रोच्चारण तथा धार्मिक अनुष्ठानों में सम्मिलित हो रहे हैं।

श्रद्धालुओं के उत्साह का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ठंड के मौसम के बावजूद सुबह से ही संगम घाट श्रद्धालुओं से भरा हुआ था। भोर की ठंडक में भी श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ स्नान कर रहे थे। यह दृश्य दर्शाता है कि आस्था और विश्वास की शक्ति कितनी प्रबल होती है। महाकुंभ के आयोजन में स्थानीय प्रशासन की व्यवस्था भी अत्यंत प्रभावी नजर आ रही है। सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही यातायात और स्वास्थ्य सेवाओं का भी पूरा इंतजाम है।

महाकुंभ में आए संत-महात्माओं की उपस्थिति भी इस उत्साह को और अधिक बढ़ा रही है। विभिन्न अखाड़ों के संत-महात्मा प्रवचन और सत्संग आयोजित कर रहे हैं, जिनमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में हिस्सा ले रहे हैं। संतों के आशीर्वचन और प्रवचनों का लाभ उठाने के लिए श्रद्धालु घंटों तक प्रतीक्षा कर रहे हैं। अखाड़ों द्वारा निकाली जा रही शोभा यात्राएं भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।

इस बार महाकुंभ में युवा श्रद्धालुओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही है। बड़ी संख्या में युवा, अपने परिवार के साथ तथा मित्रों के समूहों में पहुँच रहे हैं। वे न सिर्फ संगम स्नान कर रहे हैं, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं। युवा वर्ग सोशल मीडिया के माध्यम से भी महाकुंभ के अनुभवों को साझा कर रहे हैं, जिससे इस आयोजन की प्रसिद्धि विश्व स्तर तक पहुँच रही है।

महाकुंभ में महिलाओं की उपस्थिति भी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। महिलाएं समूहों में आकर स्नान करने के साथ ही, धार्मिक अनुष्ठानों और सांस्कृतिक आयोजनों में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। प्रशासन ने महिलाओं के लिए विशेष सुविधाएं भी प्रदान की हैं, जिससे वे निर्भीक होकर इस महाआयोजन का हिस्सा बन रही हैं।

देश के विभिन्न हिस्सों से आए कलाकार भी महाकुंभ के सांस्कृतिक मंचों पर अपनी प्रतिभा प्रदर्शित कर रहे हैं। लोक संगीत, नृत्य और नाटक आदि के माध्यम से भारतीय संस्कृति की झलक प्रस्तुत की जा रही है। यह सांस्कृतिक आयोजन श्रद्धालुओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ने और उसे समझने का भी अवसर प्रदान कर रहा है।

महाकुंभ में विदेशी श्रद्धालुओं की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। विदेशी पर्यटक भारतीय संस्कृति की गहराइयों को समझने के उद्देश्य से यहाँ पहुँचे हैं। ये पर्यटक न केवल संगम में स्नान कर रहे हैं, बल्कि भारतीय आध्यात्मिक परंपरा और योग, ध्यान आदि से भी जुड़ रहे हैं। महाकुंभ विदेशी पर्यटकों के लिए भारतीय संस्कृति और परंपरा को समझने का एक उत्कृष्ट माध्यम बन गया है।

महाकुंभ की आर्थिक गतिविधियों ने स्थानीय लोगों को रोजगार के अनेक अवसर प्रदान किए हैं। स्थानीय बाजारों में खाद्य पदार्थ, कपड़े, धार्मिक वस्तुएं और हस्तशिल्प के सामान की बिक्री से व्यापारी वर्ग भी लाभान्वित हो रहा है।

इस महाआयोजन के सफल संचालन के लिए राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन, पुलिस बल और स्वयंसेवी संगठन उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे हैं। प्रशासन की कड़ी मेहनत और सजगता ने यह सुनिश्चित किया है कि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

43वें दिन का यह आयोजन सफलता और श्रद्धा के साथ जारी है, जो न केवल श्रद्धालुओं के दिलों में आध्यात्मिक ऊर्जा भर रहा है बल्कि विश्व को भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक शक्ति से परिचित भी करा रहा है। आने वाले दिनों में महाकुंभ की भव्यता और भी बढ़ने की उम्मीद है।

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