Saturday, December 13, 2025
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दिल्ली में कूड़े के ढेर में आग

दिल्ली में कूड़े के ढेर में आग: बढ़ता पर्यावरणीय संकट

भूमिका

दिल्ली, भारत की राजधानी, तेजी से बढ़ती आबादी और शहरीकरण के कारण कूड़ा प्रबंधन की गंभीर समस्या से जूझ रही है। शहर के विभिन्न इलाकों में कूड़े के पहाड़ बन चुके हैं, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं। हाल ही में दिल्ली के कई लैंडफिल साइट्स (कूड़े के पहाड़) में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे वायु प्रदूषण और जनस्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। इस लेख में हम दिल्ली में कूड़े के ढेर में आग लगने के कारणों, प्रभावों और संभावित समाधानों का विश्लेषण करेंगे।

कूड़े के ढेर में आग लगने के प्रमुख कारण

दिल्ली में कूड़े के पहाड़ में आग लगने की घटनाएँ अक्सर गर्मी के मौसम में बढ़ जाती हैं। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

1. मीथेन गैस का निर्माण

कूड़ा जब कई महीनों और वर्षों तक सड़ता है, तो उसमें से मीथेन गैस निकलती है। यह गैस अत्यधिक ज्वलनशील होती है और जब तापमान बढ़ता है, तो यह आग पकड़ सकती है।

2. खुले में कूड़े का जलाया जाना

कई बार लोग कूड़े के निस्तारण के लिए उसे जला देते हैं, जिससे आग पूरे लैंडफिल में फैल सकती है।

3. गर्म मौसम और हीट वेव्स

दिल्ली में गर्मी के मौसम में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। इस अत्यधिक गर्मी के कारण कूड़े के ढेर में स्वतः आग लग सकती है।

4. रसायनों और ज्वलनशील पदार्थों की उपस्थिति

कूड़े के ढेर में कई बार प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक कचरा और अन्य ज्वलनशील पदार्थ मौजूद होते हैं, जो आग को फैलने में मदद करते हैं।

5. मानवीय लापरवाही

कई बार लापरवाही से जलती हुई बीड़ी, सिगरेट या अन्य ज्वलनशील वस्तुएं कूड़े में फेंक दी जाती हैं, जिससे आग लग सकती है।

दिल्ली में प्रमुख लैंडफिल साइट्स और आग की घटनाएँ

दिल्ली में तीन प्रमुख लैंडफिल साइट्स हैं, जो कूड़े के पहाड़ बन चुके हैं। इनमें से प्रत्येक में समय-समय पर आग लगती रही है।

1. गाजीपुर लैंडफिल साइट

  • गाजीपुर में 70 मीटर से अधिक ऊँचा कूड़े का पहाड़ है।
  • अप्रैल 2022 में यहाँ लगी आग ने कई दिनों तक प्रदूषण बढ़ाया था।

2. भलस्वा लैंडफिल साइट

  • भलस्वा कूड़े के पहाड़ में कई बार आग लग चुकी है।
  • जुलाई 2023 में लगी आग के कारण आसपास के निवासियों को सांस लेने में कठिनाई हुई।

3. ओखला लैंडफिल साइट

  • ओखला में भी कई बार आग लग चुकी है, जिससे दक्षिणी दिल्ली के क्षेत्रों में धुएँ की मोटी चादर फैल गई।

आग से होने वाले दुष्प्रभाव

कूड़े के ढेर में आग लगने से अनेक पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

1. वायु प्रदूषण में वृद्धि

कूड़े में लगी आग से हानिकारक गैसें जैसे कि कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और डाइऑक्सिन्स निकलते हैं, जो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब कर देते हैं।

2. जनस्वास्थ्य पर असर

  • सांस की बीमारियाँ (अस्थमा, ब्रोंकाइटिस)
  • आँखों में जलन और स्किन एलर्जी
  • कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा

3. ग्लोबल वॉर्मिंग पर असर

कूड़े में आग से निकलने वाली मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड गैसें जलवायु परिवर्तन को और तेज करती हैं।

4. स्थानीय समुदायों पर प्रभाव

  • आसपास रहने वाले लोगों को धुएँ और दुर्गंध की समस्या होती है।
  • कई बार आग इतनी भयानक होती है कि पास के घरों तक फैल सकती है।

समस्या का समाधानदिल्ली में कूड़े के ढेर में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार, नागरिकों और पर्यावरणविदों को मिलकर काम करना होगा।

1. बेहतर कूड़ा प्रबंधन

  • अलग-अलग कूड़ा (सूखा, गीला, जैविक, अजैविक) अलग से एकत्र किया जाए।
  • लैंडफिल की बजाय रिसाइकलिंग और वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट्स को बढ़ावा दिया जाए।

2. मॉडर्न वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट्स

  • जैविक कूड़े को खाद में बदला जाए।
  • प्लास्टिक और अन्य अजैविक कूड़े को रिसाइकल किया जाए।

3. सख्त कानून और नीतियाँ

  • कूड़े को जलाने पर सख्त पाबंदी लगाई जाए।
  • कूड़ा प्रबंधन की निगरानी के लिए कड़े नियम बनाए जाएँ।

4. स्मार्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग

  • ड्रोन और सेंसर तकनीक से कूड़े के ढेर की निगरानी की जाए।
  • वायु गुणवत्ता को मॉनिटर करने के लिए एडवांस सिस्टम लगाए जाएँ।

5. जनभागीदारी और जागरूकता अभियान

  • आम जनता को कूड़े के सही निस्तारण के बारे में शिक्षित किया जाए।
  • कूड़ा कम करने के लिए “Reduce, Reuse, Recycle” नीति को बढ़ावा दिया जाए।

निष्कर्ष

दिल्ली में कूड़े के ढेर में आग लगने की घटनाएँ न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद खतरनाक हैं। यह समस्या तब तक बनी रहेगी जब तक ठोस कूड़ा प्रबंधन नीति लागू नहीं की जाती और नागरिक अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते। सरकार, प्रशासन और आम जनता को मिलकर इस समस्या का हल निकालना होगा ताकि दिल्ली एक स्वच्छ और स्वस्थ शहर बन सके।

यदि उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में यह समस्या और विकराल हो सकती है, जिससे दिल्लीवासियों का जीवन और भी कठिन हो जाएगा। अब समय आ गया है कि हम इस चुनौती का सामना करने के लिए ठोस कदम उठाएँ और दिल्ली को कूड़े और प्रदूषण से मुक्त करें।

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