महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के 18 गांवों में हाल ही में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जहां लगभग 300 लोग अचानक से गंजेपन का शिकार हो गए हैं। इसमें स्कूली बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी आयु वर्ग के लोग शामिल हैं। इस अप्रत्याशित घटना ने स्थानीय समुदाय और स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच चिंता पैदा कर दी है।
घटना का पृष्ठभूमि
दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच, बुलढाणा जिले के विभिन्न गांवों में लोगों ने तेजी से बाल झड़ने की शिकायत की। शुरुआत में, यह समझ पाना मुश्किल था कि इतने बड़े पैमाने पर बाल झड़ने का कारण क्या है। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत जांच शुरू की।
जांच और निष्कर्ष
रायगढ़ स्थित बावस्कर हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर के प्रबंध निदेशक, पद्मश्री डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने इस घटना की जांच की। उनकी रिसर्च में पाया गया कि प्रभावित लोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत वितरित किए गए गेहूं का सेवन कर रहे थे, जिसमें सेलेनियम की मात्रा अत्यधिक पाई गई। सेलेनियम एक आवश्यक खनिज है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। डॉ. बावस्कर के अनुसार, प्रभावित क्षेत्र के गेहूं में सेलेनियम की मात्रा स्थानीय रूप से उगाए गए गेहूं की तुलना में 600 गुना अधिक थी। गेहूं के नमूनों की जांच ठाणे की वर्नी एनालिटिकल लैब में की गई, जहां सेलेनियम का स्तर 14.52 मिलीग्राम/किलोग्राम पाया गया, जबकि सामान्य स्तर 1.9 मिलीग्राम/किलोग्राम तक होता है। इससे स्पष्ट होता है कि अत्यधिक सेलेनियम सेवन से एलोपेसिया (गंजापन) की समस्या उत्पन्न हुई।
सेलेनियम का प्रभाव
सेलेनियम की अधिक मात्रा शरीर में कई समस्याएं पैदा कर सकती है, जिनमें बालों का झड़ना प्रमुख है। इसके अलावा, अत्यधिक सेलेनियम सेवन से मतली, उल्टी, दस्त, लहसुन जैसी सांस, त्वचा पर चकत्ते, चिड़चिड़ापन, मुंह में अजीब स्वाद, नाखूनों का टूटना, दांतों का रंग बदलना, नर्वस सिस्टम में गड़बड़ी, सांस की नली में समस्याएं, मायोकार्डियल इन्फार्क्शन, गुर्दे की विफलता, हृदय फेल होना और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए, सेलेनियम की मात्रा का संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
प्रभावित लोगों की स्थिति
अचानक बाल झड़ने की समस्या से प्रभावित लोग मानसिक और सामाजिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कई बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है, और कुछ की शादियां भी टूट गई हैं। समाज में उपहास और तानों के डर से कई लोगों ने अपने सिर मुंडवा लिए हैं। इस घटना ने न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाला है।
सरकारी प्रतिक्रिया
इस घटना के सामने आने के बाद, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिकों ने प्रभावित क्षेत्र से पानी और मिट्टी के नमूने एकत्र किए। जांच में प्रभावित लोगों के रक्त में सेलेनियम के उच्च स्तर की पुष्टि हुई। ICMR ने अपनी जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। सरकार ने प्रभावित लोगों को सेलेनियम युक्त गेहूं का सेवन बंद करने की सलाह दी है। कुछ मामलों में, गेहूं का सेवन बंद करने के बाद 5 से 6 सप्ताह में बालों की वृद्धि में सुधार देखा गया है।
संभावित कारण
रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रभावित क्षेत्र में वितरित गेहूं पंजाब से आया था। पंजाब और हरियाणा की मिट्टी में सेलेनियम की मात्रा अधिक पाई जाती है, जो वहां उगाई जाने वाली फसलों में भी उच्च सेलेनियम स्तर का कारण बनती है। ऐसा माना जा रहा है कि इसी उच्च सेलेनियम युक्त गेहूं की खपत से बुलढाणा जिले में बाल झड़ने की समस्या उत्पन्न हुई।
निष्कर्ष
बुलढाणा जिले की यह घटना सार्वजनिक वितरण प्रणाली में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और स्रोत की निगरानी की आवश्यकता को उजागर करती है। इस घटना से सीख लेते हुए, यह आवश्यक है कि भविष्य में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की सख्त जांच की जाए, ताकि इस तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सके। साथ ही, प्रभावित लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उचित चिकित्सा और परामर्श सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए।




