प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई मोटापा विरोधी मुहिम ने देशभर में तेजी से समर्थन जुटाया है। इस महत्वपूर्ण अभियान में अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला भी शामिल हो गए हैं। उनके इस अभियान में जुड़ने से न केवल राजनीतिक हलकों में सकारात्मक संदेश गया है, बल्कि आम जनता के बीच भी स्वस्थ जीवनशैली अपनाने को लेकर जागरूकता बढ़ी है।
प्रधानमंत्री मोदी की मोटापा विरोधी मुहिम की शुरुआत हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय जनता को मोटापे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना और स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है। इस मुहिम के अंतर्गत सरकार द्वारा योग, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और दैनिक दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलावों पर ज़ोर दिया जा रहा है। मोदी ने स्वयं इस अभियान को लेकर गंभीरता दिखाई है, जिससे देश के विभिन्न वर्गों में सकारात्मक बदलाव के संकेत नजर आ रहे हैं।
उमर अब्दुल्ला का इस अभियान से जुड़ना एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उमर अब्दुल्ला स्वयं भी फिटनेस को लेकर काफी सजग हैं और उन्होंने इस अभियान में शामिल होने के साथ ही अपने सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से जनता से स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली अपनाने की अपील की है। उन्होंने अपने संदेश में कहा, “स्वास्थ्य ही वास्तविक संपत्ति है और मोटापा आज की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन गया है। यह अभियान सिर्फ किसी एक राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे देश के स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए है।”
उमर अब्दुल्ला के इस पहल से जुड़ने के बाद जम्मू-कश्मीर समेत देश के कई राज्यों में युवाओं के बीच सकारात्मक उत्साह देखा जा रहा है। यह पहली बार नहीं है जब उमर ने किसी राष्ट्रीय स्तर के अभियान में सक्रियता दिखाई है, लेकिन उनका इस तरह खुलकर प्रधानमंत्री मोदी के अभियान का समर्थन करना राजनीतिक सहयोग और समझदारी का संकेत देता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 13 करोड़ लोग मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं, जिससे डायबिटीज, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और अन्य गंभीर बीमारियों के मामले तेजी से बढ़े हैं। इस समस्या को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी की पहल बेहद जरूरी और प्रभावी कदम मानी जा रही है। अब उमर अब्दुल्ला के जुड़ने से इस अभियान को जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भी व्यापक समर्थन मिलने की संभावना बढ़ गई है।
उमर अब्दुल्ला के समर्थन के बाद कई अन्य राजनीतिक नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और सेलिब्रिटी भी इस अभियान से जुड़ने लगे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि मोटापा विरोधी मुहिम को लेकर व्यापक समर्थन समाज में बड़े बदलाव की शुरुआत कर सकता है। खासतौर पर युवाओं और बच्चों में बढ़ रही मोटापे की समस्या पर रोक लगाने के लिए इस तरह के अभियानों का बड़ा महत्व है।
इस अभियान की सफलता के लिए जरूरी है कि सरकारी प्रयासों के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी जिम्मेदारी ली जाए। लोगों को अपनी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधियों, योग और व्यायाम को नियमित रूप से अपनाना होगा। साथ ही आहार में अधिक पौष्टिक और संतुलित भोजन का सेवन करना भी आवश्यक है।
सरकार इस अभियान के तहत विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों पर जागरूकता शिविर भी आयोजित कर रही है। उमर अब्दुल्ला के अभियान से जुड़ने के बाद उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर के स्कूलों और युवाओं के बीच भी बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम शुरू होंगे।
इस मुहिम में उमर अब्दुल्ला का जुड़ना सिर्फ राजनीतिक एकजुटता ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर स्वस्थ भारत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मोटापा विरोधी इस राष्ट्रीय अभियान का सफल होना भारत के लिए न केवल स्वास्थ्य बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी साबित होगा। स्वस्थ नागरिक राष्ट्र की उत्पादकता में वृद्धि करते हैं, जो अंततः देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल में उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं का जुड़ना दर्शाता है कि देशहित के मुद्दों पर राजनीतिक दलों को एक साथ लाकर बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और भी नेता इस मुहिम से जुड़ेंगे, जिससे भारत को एक स्वस्थ और खुशहाल राष्ट्र बनाने के सपने को पूरा किया जा सके।




