आरती कश्यप
परिचय
भारत और मॉरीशस के बीच द्विपक्षीय संबंधों में मजबूत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कनेक्शन हैं। दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग न केवल क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरीशस यात्रा 2015 से लेकर अब तक कई बार हुई है, और इनमें से प्रत्येक यात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों को नए आयाम दिए हैं। मोदी की 2025 की यात्रा भी उसी कड़ी का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने भारत-मॉरीशस के संबंधों को और मजबूत करने के लिए कई प्रमुख पहलुओं पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा, खासकर जब वह पड़ोसी देशों में जाते हैं, तो अक्सर राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन जाती है। खासतौर पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया इस पर बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह उनके दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती है कि वे देश के विदेश नीति और नेतृत्व के बारे में क्या सोचते हैं। इस लेख में, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरीशस यात्रा पर कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया का विश्लेषण करेंगे, साथ ही यह भी देखेंगे कि उनके दृष्टिकोण में क्या विविधताएँ थीं और इसका भारतीय राजनीति पर क्या असर पड़ा।
1. प्रधानमंत्री मोदी की मॉरीशस यात्रा का संदर्भ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरीशस यात्रा एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटना थी, जिसमें कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई। यह यात्रा एक ऐसे समय में हुई जब भारत और मॉरीशस के बीच रणनीतिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता थी।
मोदी की यात्रा का मुख्य उद्देश्य मॉरीशस के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करना था। इस दौरान उन्होंने मॉरीशस के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य उच्च अधिकारियों से मुलाकात की। प्रमुख मुद्दों में आर्थिक सहयोग, सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी प्रयास, और दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई। इसके अलावा, मोदी ने मॉरीशस के लोगों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी हुई कुछ महत्वपूर्ण बातें भी साझा की। उन्होंने भारतीय समुदाय की स्थिति और उनकी भूमिका को भी सराहा, जो मॉरीशस में महत्वपूर्ण संख्या में रहते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस यात्रा के दौरान ‘भारत-मॉरीशस: सामरिक और कूटनीतिक साझेदारी’ की दिशा में कई बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इन समझौतों में समुद्री सुरक्षा, व्यापार, और भारतीय संस्कृति का प्रसार शामिल था। इसके साथ ही, मोदी ने मॉरीशस में भारतीय प्रवासी समुदाय के योगदान को भी महत्व दिया और उनके अधिकारों की रक्षा करने का वचन दिया।
2. कांग्रेस पार्टी की पहली प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी की मॉरीशस यात्रा पर कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया एक मिश्रित दृष्टिकोण को दर्शाती है। एक ओर जहां कांग्रेस ने मोदी की यात्रा को भारत और मॉरीशस के संबंधों को बढ़ाने का एक सकारात्मक कदम माना, वहीं दूसरी ओर उन्होंने कुछ आलोचनाएँ भी कीं। कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार केवल विदेश नीति की घोषणाओं और यात्रा के माध्यम से कूटनीतिक सफलता का दावा करती है, लेकिन वास्तविक लाभ या बदलाव मैदान में नजर नहीं आता।
कांग्रेस के नेताओं का यह भी कहना था कि मोदी की विदेश यात्राओं में आमतौर पर एक छवि निर्माण की कोशिश की जाती है, जो अंततः भारतीय जनता के लिए कोई ठोस परिणाम नहीं लाती। कांग्रेस पार्टी का आरोप था कि मोदी विदेश यात्रा के दौरान अधिकांश समय में महत्त्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाते हैं, और यह केवल कूटनीतिक छवि सुधारने का एक तरीका बन जाता है।
3. कांग्रेस का आरोप: राष्ट्रीय हितों की अनदेखी
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर यह आरोप लगाया कि उनकी विदेश यात्राएँ केवल भारत के राष्ट्रीय हितों को मजबूत करने के लिए नहीं होतीं, बल्कि उनकी व्यक्तिगत छवि निर्माण के लिए अधिक होती हैं। पार्टी के नेता यह दावा करते हैं कि मोदी सरकार ने इस यात्रा में भारतीय कूटनीति को केवल एक उच्च-स्तरीय प्रचार के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि वास्तविक दुनिया में इसका कोई ठोस प्रभाव नहीं पड़ा।
कांग्रेस पार्टी ने यह भी बताया कि मोदी सरकार द्वारा किए गए समझौतों और घोषणाओं में दी गई प्राथमिकताएँ भारतीय जनता के वास्तविक मुद्दों से बहुत दूर हैं। जैसे कि रोजगार सृजन, किसानों की समस्या, और राष्ट्रीय सुरक्षा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि विदेश यात्राएँ ऐसे समय में की जाती हैं जब भारत के अंदर गंभीर घरेलू मुद्दे बने रहते हैं, और इन मुद्दों पर मोदी सरकार का ध्यान नहीं जाता।
4. कांग्रेस का ध्यान: राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच सुरक्षा और आतंकवाद पर चर्चा को लेकर भी चिंता जताई। पार्टी के नेताओं ने कहा कि विदेशों में ऐसे समझौते और चर्चाएँ बहुत ही सामान्य होती हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन मुद्दों का प्रभाव भारतीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों पर क्या पड़ता है। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि क्या मोदी सरकार ने इन समझौतों से सुरक्षा के क्षेत्र में कोई ठोस कदम उठाए हैं या नहीं।
कांग्रेस ने यह भी पूछा कि भारत के प्रति मॉरीशस के द्वार पर खड़े होने वाले आतंकी संगठनों के खिलाफ क्या ठोस कार्रवाई की जाएगी। भारतीय नेताओं के अनुसार, मॉरीशस के माध्यम से भारत और अफ्रीका के बीच भी आतंकवाद और सीमा सुरक्षा के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने की जरूरत थी, लेकिन कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने इस पर कोई विशेष रणनीति साझा नहीं की।
5. कांग्रेस के दृष्टिकोण में प्रमुख मुद्दे
प्रधानमंत्री मोदी की मॉरीशस यात्रा पर कांग्रेस पार्टी की आलोचना के प्रमुख बिंदु इस प्रकार थे:
1. राष्ट्रीय हितों की अनदेखी: कांग्रेस का कहना था कि विदेश यात्राएँ केवल प्रधानमंत्री मोदी की छवि सुधारने के लिए होती हैं और इनसे भारतीय जनता को कोई वास्तविक लाभ नहीं मिलता।
2. सुरक्षा और आतंकवाद: कांग्रेस ने सवाल उठाया कि मोदी सरकार ने सुरक्षा के क्षेत्र में कोई ठोस कदम नहीं उठाए और आतंकवाद से निपटने के लिए पर्याप्त कार्य नहीं किया।
3. घरेलू मुद्दों पर ध्यान की कमी: कांग्रेस ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं से घरेलू मुद्दों पर ध्यान नहीं जा रहा, जैसे कि बेरोजगारी, गरीबी, और किसान संकट।
4. विदेश नीति में निरंतरता की कमी: कांग्रेस का आरोप था कि मोदी सरकार ने अपनी विदेश नीति में कोई स्पष्ट दिशा या निरंतरता नहीं दिखाई। कांग्रेस के अनुसार, जब भी विदेश यात्रा होती है, तो हर बार नई घोषणाएँ की जाती हैं, लेकिन इन घोषणाओं का कोई ठोस पालन नहीं किया जाता।
6. कांग्रेस की ओर से दिए गए वैकल्पिक दृष्टिकोण
कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि वे विदेश नीति में मोदी सरकार की आलोचना करते हुए भारतीय नागरिकों के हितों के लिए सही दिशा में काम करने की बात करते हैं। कांग्रेस ने यह स्वीकार किया कि भारत और मॉरीशस के बीच अच्छे संबंध बनाए रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन वे यह चाहते थे कि मोदी सरकार एक स्पष्ट और पारदर्शी दृष्टिकोण अपनाए और केवल औपचारिक कूटनीति से बाहर निकलकर ठोस और व्यावहारिक कदम उठाए।
1. रणनीतिक साझेदारी की आवश्यकता: कांग्रेस ने इस बात पर बल दिया कि भारत-मॉरीशस संबंधों को केवल सांस्कृतिक और व्यापारिक सहयोग के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि उन्हें रणनीतिक साझेदारी में बदलने की आवश्यकता है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में गहरे सहयोग की आवश्यकता है।
2. कूटनीतिक और व्यावहारिक कदम: कांग्रेस ने सुझाव दिया कि मोदी सरकार को कूटनीतिक घोषणाओं और यात्रा के बजाय व्यावहारिक कदम उठाने चाहिए, ताकि भारतीय नागरिकों को वास्तविक लाभ हो।
7. निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरीशस यात्रा, जहां भारत और मॉरीशस के रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, वहीं कांग्रेस पार्टी ने इसे कूटनीतिक हद तक और छवि निर्माण का प्रयास करार दिया। कांग्रेस की आलोचना मुख्यतः मोदी सरकार की विदेश नीति के कार्यान्वयन में असंगति और भारतीय नागरिकों के वास्तविक मुद्दों पर ध्यान न देने की वजह से थी।
इसके बावजूद, यह भी सत्य है कि दोनों देशों के बीच बढ़ते संबंध और सहयोग से भारतीय कूटनीति को नई दिशा मिली है। यह यात्रा भारतीय राजनीति और कूटनीति के एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाती है, और यह स्पष्ट करती है कि कूटनीतिक मुद्दों पर पार्टी की प्रतिक्रियाएँ हमेशा पार्टी के दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं से प्रभावित होती हैं।




