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एक देश, एक चुनाव’ विधेयक पर संसदीय पैनल की बैठक

एक देश, एक चुनाव' विधेयक पर संसदीय पैनल की बैठक

एक देश, एक चुनाव' विधेयक पर संसदीय पैनल की बैठक

‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) की अवधारणा भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण विषय बन गई है। इस पहल का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है, जिससे चुनावी प्रक्रियाओं में समन्वय स्थापित हो सके और संसाधनों की बचत हो। इस संदर्भ में, 24 फरवरी 2025 को संसद की संयुक्त समिति (Joint Parliamentary Committee – JPC) की पहली बैठक आयोजित की गई, जिसमें इस विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।

बैठक का उद्देश्य और प्रमुख बिंदु

इस बैठक का मुख्य उद्देश्य संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 की समीक्षा करना था। कानून और न्याय मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रस्तावित कानूनों के प्रावधानों पर समिति के सदस्यों को विस्तृत जानकारी प्रदान की। बैठक की अध्यक्षता भाजपा सांसद पी.पी. चौधरी ने की, जो इस 39 सदस्यीय समिति के प्रमुख हैं। समिति में 27 सदस्य लोकसभा से और 12 सदस्य राज्यसभा से शामिल हैं। इसमें कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, भाजपा के अनुराग ठाकुर और अनिल बलूनी, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं।

कानून मंत्रालय का दृष्टिकोण

कानून मंत्रालय ने समिति के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना न तो लोकतंत्र के विरुद्ध है और न ही संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाता है। मंत्रालय ने बताया कि 1951 से 1967 तक लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित किए गए थे। हालांकि, कुछ राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू होने और अन्य राजनीतिक कारणों से यह चक्र टूट गया। मंत्रालय ने यह भी उल्लेख किया कि एक साथ चुनाव कराने से शासन में स्थिरता आएगी और नए चेहरों के लिए राजनीति में अवसर बढ़ेंगे।

समिति के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियाँ

समिति के सदस्यों ने इस पहल के समक्ष आने वाली संभावित चुनौतियों पर भी चर्चा की। मुख्य चिंताओं में शामिल हैं:

आगे की राह

समिति की अगली बैठक 25 फरवरी 2025 को निर्धारित की गई है, जिसमें इन मुद्दों पर और विस्तृत चर्चा की जाएगी। कानून मंत्रालय ने समिति के कुछ सवालों के जवाब दे दिए हैं, जबकि कुछ अन्य सवालों को निर्वाचन आयोग को भेजा गया है। सरकार का तर्क है कि एक साथ चुनाव कराने से शासन में सुधार होगा और लागत कम होगी, जबकि विपक्षी दलों को इसके संघीय ढांचे पर असर को लेकर चिंता है। जेपीसी इन चिंताओं को दूर करने और इस ऐतिहासिक चुनाव सुधार पर आम सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

निष्कर्ष

‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रस्ताव है। इस पहल के समर्थक इसे शासन में सुधार और संसाधनों की बचत के रूप में देखते हैं, जबकि विरोधी इसे संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए चुनौती मानते हैं। संयुक्त संसदीय समिति की आगामी बैठकों और चर्चाओं से इस विधेयक के भविष्य का निर्धारण होगा, जो देश की चुनावी प्रणाली में संभावित परिवर्तन ला सकता है।

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