नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की संभावित राजनीतिक प्रवेश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे, निशांत कुमार, की राजनीति में संभावित प्रवेश की अटकलें तेज हो गई हैं। इस विषय पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ नेता निशांत कुमार को राजनीति में आने से रोकने के लिए बैठकें कर रहे हैं। तेजस्वी ने कहा, “नीतीश कुमार के बेटे निशांत अगर राजनीति में आते हैं, तो वह जेडीयू को बचा लेंगे। लेकिन, नीतीश कैबिनेट के कुछ मंत्री उन्हें पॉलिटिक्स में आने से रोकने के लिए बैठकें कर रहे हैं।” दूसरी ओर, जेडीयू ने स्पष्ट किया है कि इस संबंध में अंतिम निर्णय नीतीश कुमार स्वयं लेंगे। भाजपा ने इसे जेडीयू का आंतरिक मामला बताया है।
दलित समागम और जीतनराम मांझी की सक्रियता
पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के नेता जीतनराम मांझी ने पटना के गांधी मैदान में दलित समागम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हुए, हालांकि वे केवल ढाई मिनट रुके और 18 सेकेंड का भाषण दिया। मांझी ने महादलित समुदाय के एकजुट होने पर जोर देते हुए कहा कि यदि 30% महादलित एकजुट हों, तो मनचाही सरकार बनाई जा सकती है।
भाजपा की आंतरिक राजनीति और सम्राट चौधरी की भूमिका
भाजपा ने मार्च 2023 में सम्राट चौधरी को बिहार प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया, जिसका उद्देश्य कुशवाहा या कोइरी जाति के मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में संगठित करना था। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली, और कुशवाहा समुदाय के वोटों में विभाजन देखा गया। इसके बाद, जुलाई 2024 में सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर दिलीप कुमार जायसवाल को नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
जातिगत जनगणना और आरक्षण विवाद
2022 में बिहार में जातिगत जनगणना कराई गई, जिसके आधार पर 2023 में विधानसभा ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 65% आरक्षण का विधेयक पारित किया। हालांकि, जून 2024 में पटना उच्च न्यायालय ने इस आरक्षण को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया।
मिथिला राज्य की मांग
बिहार से अलग मिथिला राज्य की मांग ने हाल ही में जोर पकड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया, जिससे राजनीतिक हलचल बढ़ गई। जेडीयू और भाजपा के कुछ नेताओं ने भी इस मांग का समर्थन किया है, जबकि अन्य दलों ने इस पर आपत्ति जताई है।
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति वर्तमान में परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। निशांत कुमार की संभावित राजनीतिक एंट्री, दलित समुदाय की सक्रियता, भाजपा की आंतरिक राजनीति, आरक्षण विवाद और मिथिला राज्य की मांग जैसे मुद्दे राज्य की राजनीतिक दिशा को प्रभावित कर रहे हैं। आने वाले समय में ये घटनाक्रम बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।




