Aarti Kashyap
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर रेलवे का सलाम
हर साल 8 मार्च को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों को सम्मान देने के लिए समर्पित होता है। भारत में रेलवे, जो देश की जीवनरेखा है, इस विशेष अवसर पर महिलाओं को सलाम करता है और उनकी भागीदारी को और सशक्त बनाने के लिए नए कदम उठाता है।
भारतीय रेलवे में महिलाओं की भूमिका
भारतीय रेलवे में महिलाओं की भूमिका समय के साथ बढ़ी है। पहले यह क्षेत्र मुख्यतः पुरुष प्रधान माना जाता था, लेकिन अब महिलाएँ भी इसमें अपनी अलग पहचान बना रही हैं। वे लोको पायलट, गार्ड, टिकट परीक्षक, इंजीनियर, स्टेशन मास्टर और अन्य कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं।
रेलवे की महिला कर्मचारियों ने न केवल अपनी दक्षता साबित की है, बल्कि इस क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ भी हासिल की हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय रेलवे की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव ने इस पेशे में कदम रखकर कई अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं।
रेलवे द्वारा महिला दिवस पर विशेष पहल
हर साल, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर रेलवे विभिन्न प्रकार की पहल करता है ताकि महिलाओं को और अधिक सशक्त किया जा सके। कुछ प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:
1. पूरी तरह महिला संचालित ट्रेनें
रेलवे ने कई स्थानों पर ऐसी ट्रेनें चलाई हैं जिनका संचालन पूरी तरह से महिला कर्मचारियों द्वारा किया जाता है। इसमें लोको पायलट से लेकर टिकट निरीक्षक तक सभी महिलाएँ होती हैं। यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
2. महिला सुरक्षा के लिए विशेष उपाय
महिलाओं की सुरक्षा रेलवे के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है। इसीलिए रेलवे ने महिला यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:
- महिला आरक्षित कोच: लंबी दूरी की ट्रेनों में महिलाओं के लिए विशेष आरक्षित कोच होते हैं।
- महिला सुरक्षा बल (RPF): रेलवे सुरक्षा बल (RPF) में महिला जवानों की संख्या बढ़ाई गई है जो महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।
- ‘मेरी सहेली’ पहल: यह रेलवे सुरक्षा बल द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जिसमें महिला यात्रियों की यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं।
3. महिलाओं के लिए विशेष सुविधाएँ
रेलवे स्टेशनों पर महिलाओं की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- अलग वेटिंग रूम
- स्वच्छ और सुरक्षित शौचालय
- विशेष हेल्पडेस्क
- सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें
4. महिला कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल सुधार
भारतीय रेलवे अपने महिला कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल पर सुधार लाने के लिए भी लगातार प्रयास कर रहा है। इनमें शामिल हैं:
- फ्लेक्सिबल वर्किंग ऑवर्स
- मैटरनिटी लीव और डे-केयर सुविधाएँ
- समान वेतन और प्रमोशन के अवसर
महिला कर्मचारियों की प्रेरणादायक कहानियाँ
भारतीय रेलवे में कई महिलाओं ने अपनी मेहनत और समर्पण से नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
1. सुरेखा यादव – भारत की पहली महिला लोको पायलट
सुरेखा यादव भारतीय रेलवे की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर बनीं। उन्होंने अपने कठिन परिश्रम और लगन से यह सिद्ध किया कि महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। आज वे कई युवतियों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं।
2. ममता कुलकर्णी – पहली महिला स्टेशन मास्टर
ममता कुलकर्णी को भारतीय रेलवे की पहली महिला स्टेशन मास्टर बनने का गौरव प्राप्त हुआ। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि स्टेशन मास्टर की भूमिका में निर्णय लेने की क्षमता और उच्च प्रशासनिक दक्षता की आवश्यकता होती है।
3. रेलवे की महिला गैंगमैन (ट्रैक मेंटेनर)
पहले यह कार्य केवल पुरुषों के लिए माना जाता था, लेकिन अब महिलाएँ भी रेलवे ट्रैक मेंटेनर की भूमिका में अपनी सेवाएँ दे रही हैं। यह दिखाता है कि महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में अपनी योग्यता साबित कर सकती हैं।
भारतीय रेलवे और लैंगिक समानता
भारतीय रेलवे महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और लैंगिक समानता को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रयास कर रहा है। इनमें शामिल हैं:
- महिलाओं को उच्च पदों पर नियुक्त करना
- कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए सख्त कानून
- महिला कर्मचारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम
इसके अलावा, रेलवे यह सुनिश्चित कर रहा है कि महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में समान रूप से शामिल किया जाए।
निष्कर्ष
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भारतीय रेलवे अपने महिला कर्मचारियों और यात्रियों को सलाम करता है। यह न केवल महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है, बल्कि समाज में लैंगिक समानता की ओर भी एक महत्वपूर्ण पहल है। महिलाओं की मेहनत, साहस और आत्मनिर्भरता ने भारतीय रेलवे को और भी मजबूत बनाया है।
रेलवे का यह प्रयास केवल एक दिन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के उत्थान और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए निरंतर जारी रहेगा। यह सच है कि जब महिलाएँ आगे बढ़ती हैं, तो पूरा राष्ट्र आगे बढ़ता है।




