हाल ही में महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक अबू आजमी ने मुगल शासक औरंगजेब की प्रशंसा करते हुए उसे ‘इंसाफ पसंद बादशाह’ कहा, जिसके बाद राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। इस बयान के परिणामस्वरूप, महाराष्ट्र विधानसभा ने अबू आजमी को पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित कर दिया है। उधर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “उसे यूपी भेज दो, हम उसका इलाज कर देंगे।”
अबू आजमी का बयान और विवाद की शुरुआत
अबू आजमी ने अपने बयान में कहा कि औरंगजेब एक न्यायप्रिय शासक था और उसके शासनकाल में भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उस समय की लड़ाइयाँ धर्म के लिए नहीं, बल्कि सत्ता के लिए होती थीं, और औरंगजेब की सेना में कई हिंदू सेनापति थे। इस बयान के बाद भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों ने कड़ी आपत्ति जताई, जिससे महाराष्ट्र विधानसभा में हंगामा हुआ और अंततः आजमी को निलंबित कर दिया गया।
योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद में बिना नाम लिए अबू आजमी पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा के एक विधायक को औरंगजेब अच्छा लगता है। उन्होंने चुनौती दी कि सपा में हिम्मत है तो वह ऐसे व्यक्ति को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाए। योगी ने कहा, “उसे यूपी भेज दो, हम उसका इलाज कर देंगे।”
समाजवादी पार्टी के भीतर प्रतिक्रियाएँ
अबू आजमी के बयान पर समाजवादी पार्टी के भीतर भी मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आई हैं। सिराथू से सपा विधायक पल्लवी पटेल ने आजमी का समर्थन करते हुए कहा कि हर शासक में कुछ गुण और अवगुण होते हैं, और औरंगजेब में भी कुछ अच्छे गुण थे। वहीं, सपा विधायक अमिताभ वाजपेयी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि समय बदलता है, और कब कौन किसका इलाज कर दे, कोई नहीं जानता।
विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएँ
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने अबू आजमी के निलंबन को सही ठहराते हुए कहा कि औरंगजेब के मुद्दे पर विवाद के बाद यह उचित कदम है। वहीं, अन्य विपक्षी नेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं, जिससे यह विवाद और गहरा गया है।
इतिहास के आईने में औरंगजेब
मुगल सम्राट औरंगजेब का शासनकाल भारतीय इतिहास में विवादास्पद माना जाता है। उनके शासन के दौरान कई मंदिरों को नष्ट करने और हिंदू प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाने के आरोप हैं। हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब एक कुशल प्रशासक था, जिसने अपने साम्राज्य का विस्तार किया और प्रशासनिक सुधार किए। इस प्रकार, औरंगजेब की विरासत पर विभिन्न दृष्टिकोण हैं, जो आज भी बहस का विषय बने हुए हैं।
राजनीतिक दलों के लिए सबक
यह प्रकरण राजनीतिक दलों के लिए एक सबक है कि इतिहास के संवेदनशील मुद्दों पर बयान देने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे बयान न केवल राजनीतिक विवाद को जन्म देते हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, नेताओं को अपने शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए, ताकि अनावश्यक विवादों से बचा जा सके।
निष्कर्ष
अबू आजमी का औरंगजेब पर दिया गया बयान और उसके बाद की प्रतिक्रियाएँ यह दर्शाती हैं कि इतिहास के मुद्दों पर आज भी समाज में गहरी संवेदनशीलता है। नेताओं को चाहिए कि वे ऐसे विषयों पर बयान देने से पहले उनके संभावित प्रभावों पर विचार करें, ताकि समाज में शांति और एकता बनी रहे।




