उत्तराखंड पुलिस विभाग के वरिष्ठ और तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी केवल खुराना का रविवार, 23 फरवरी 2025 को दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में निधन हो गया। 48 वर्षीय खुराना पिछले लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे और उनका उपचार जारी था। उनके निधन से पुलिस विभाग, उत्तराखंड और उनके गृह जनपद बदायूं में शोक की लहर है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
केवल खुराना का जन्म उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में हुआ था। उनके पिता, अशोक खुराना, एक समाजसेवी और साहित्यकार थे, जिन्होंने ‘तुम आओगे ना’ नामक गीत श्रृंखला लिखी थी, जिसका ऑडियो एल्बम भी जारी हुआ था। साहित्यिक परिवेश में पले-बढ़े केवल खुराना ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और सिविल सेवा की तैयारी में जुट गए।
पुलिस सेवा में करियर
2005 बैच के आईपीएस अधिकारी के रूप में उत्तराखंड कैडर में शामिल होने के बाद, केवल खुराना ने अपने कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन और प्रशासनिक कौशल से विभिन्न पदों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी गिनती तेजतर्रार और सुधारवादी अधिकारियों में होती थी।
देहरादून में योगदान
2013 में, देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के रूप में कार्य करते हुए, खुराना ने शहर की यातायात व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार किए। उनके प्रयासों से यातायात संचालन में सुव्यवस्था आई, जिसे आज भी लोग सराहते हैं।
ऊधमसिंहनगर और यातायात निदेशक के रूप में कार्यकाल
देहरादून के बाद, खुराना ने ऊधमसिंहनगर में एसएसपी की जिम्मेदारी संभाली, जहां उन्होंने कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद में, वे उत्तराखंड के पहले यातायात निदेशक बने। इस पद पर रहते हुए, उन्होंने ‘ट्रैफिक ऑय’ ऐप लॉन्च किया, जो राज्य में यातायात सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। उनके इस नवाचार के लिए उन्हें फिक्की अवार्ड से सम्मानित किया गया।
होमगार्ड कमांडेंट और प्रशिक्षण आईजी के रूप में योगदान
जनरल कमांडेंट होमगार्ड के रूप में, खुराना ने होमगार्ड जवानों के कल्याण और आधुनिक प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने जवानों को हथियार संचालन और रेस्क्यू ऑपरेशन की ट्रेनिंग दिलवाई, जिससे उनकी दक्षता में वृद्धि हुई। आईजी प्रशिक्षण के रूप में, उन्होंने आईपीसी और सीआरपीसी में उर्दू शब्दों का हिंदी में अनुवाद कर नया पाठ्यक्रम शुरू कराया, जिससे पुलिसकर्मियों को कानूनी प्रावधानों को समझने में आसानी हुई।
साहित्यिक रुचि और व्यक्तिगत जीवन
साहित्यिक परिवार से आने वाले केवल खुराना की साहित्य में गहरी रुचि थी। अपने व्यस्त प्रशासनिक जीवन के बावजूद, वे साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रहते थे। उनका बदायूं से गहरा लगाव था और वे समय-समय पर वहां आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लेते थे।
निधन और अंतिम संस्कार
लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे केवल खुराना का दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में उपचार चल रहा था, जहां 23 फरवरी 2025 को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से बदायूं और उत्तराखंड में शोक की लहर दौड़ गई। उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार में हर की पैड़ी पर राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
सहकर्मियों और समाज की प्रतिक्रिया
केवल खुराना के निधन पर उनके सहकर्मियों, वरिष्ठ अधिकारियों और समाज के विभिन्न वर्गों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उनकी कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन और प्रशासनिक सुधारों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उनके योगदान को सम्मानित करते हुए, उत्तराखंड पुलिस विभाग ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।
निष्कर्ष
आईपीएस केवल खुराना का जीवन कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन और समाज सेवा का प्रतीक था। उनके द्वारा किए गए प्रशासनिक सुधार और नवाचार आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेंगे। उनकी कमी को पूरा करना कठिन होगा, लेकिन उनके आदर्श और मूल्य हमेशा मार्गदर्शन करते रहेंगे।

