आरती कश्यप
भूमिका
बिजली किसी भी देश की आर्थिक, औद्योगिक और सामाजिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण संसाधन है। भारत, जो विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, वर्तमान में एक गंभीर बिजली संकट की ओर बढ़ रहा है। विभिन्न राज्यों में बिजली कटौती और ऊर्जा की कमी की खबरें सामने आ रही हैं। इस स्थिति ने न केवल आम जनता को प्रभावित किया है, बल्कि उद्योगों, कृषि और व्यापार पर भी गंभीर प्रभाव डाला है।
बिजली संकट की इस चेतावनी का मुख्य कारण कोयले की कमी, बढ़ती ऊर्जा मांग, आपूर्ति श्रृंखला में गड़बड़ी और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याएं हैं। यह लेख बिजली संकट के प्रमुख कारणों, इसके प्रभावों और संभावित समाधानों पर विस्तृत रूप से चर्चा करेगा।
भारत में बिजली संकट: मौजूदा स्थिति
भारत में बिजली उत्पादन मुख्य रूप से थर्मल पावर प्लांट्स (कोयला, गैस और तेल आधारित) पर निर्भर है। इसके अलावा, पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (सौर, पवन, जलविद्युत और बायोमास) और परमाणु ऊर्जा का भी योगदान है।
हाल के महीनों में देश के विभिन्न हिस्सों में बिजली कटौती की घटनाएं बढ़ी हैं। खासतौर पर, गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ने के कारण कई राज्यों में चार से आठ घंटे तक की बिजली कटौती देखी गई है।
महत्वपूर्ण आंकड़े:
- अप्रैल 2024 तक, भारत की बिजली की मांग 210 गीगावॉट से अधिक हो गई, जो पिछले साल की तुलना में 8% अधिक है।
- कोयले पर आधारित थर्मल प्लांट्स 70% से अधिक बिजली उत्पादन करते हैं, लेकिन कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पादन बाधित हो रहा है।
- गर्मी के मौसम में बिजली की खपत 10% से 15% तक बढ़ जाती है, जिससे बिजली संकट और गंभीर हो जाता है।
बिजली संकट के प्रमुख कारण
1. कोयले की कमी
भारत का लगभग 70% बिजली उत्पादन कोयले पर निर्भर करता है। हालांकि, कोयले की आपूर्ति में लगातार गिरावट आ रही है, जिससे बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
इसके कुछ प्रमुख कारण हैं:
- कोयला खदानों से बिजली संयंत्रों तक आपूर्ति में देरी
- कोयले का आयात महंगा होने के कारण निजी कंपनियों द्वारा आयात में कटौती
- मौसम संबंधी समस्याएं (अत्यधिक बारिश के कारण खनन में बाधा)
2. बढ़ती बिजली मांग
भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण के कारण बिजली की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है।
- शहरीकरण और स्मार्ट सिटीज़ प्रोजेक्ट्स
- इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या
- गर्मी के कारण एयर कंडीशनर और कूलर की अधिक खपत
3. पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा की सीमाएं
हालांकि भारत सौर और पवन ऊर्जा में निवेश कर रहा है, लेकिन यह ऊर्जा स्रोत अभी भी पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं हैं।
- सौर ऊर्जा केवल दिन के समय उपलब्ध होती है, और ऊर्जा भंडारण की सुविधा सीमित है।
- पवन ऊर्जा मौसम पर निर्भर करती है, जिससे आपूर्ति स्थिर नहीं रह पाती।
4. संविदा और वितरण प्रणाली की समस्याएं
भारत की बिजली वितरण कंपनियां (DISCOMs) गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रही हैं।
- राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी के कारण कंपनियों का घाटा बढ़ रहा है।
- बिजली चोरी और लाइन लॉस के कारण वितरण में दिक्कतें हो रही हैं।
5. जलवायु परिवर्तन और मौसम की चरम स्थितियां
- गर्मियों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर बिजली की खपत बढ़ जाती है।
- सूखे और बाढ़ के कारण हाइड्रोपावर उत्पादन प्रभावित होता है।
बिजली संकट के प्रभाव
1. घरेलू जीवन पर प्रभाव
बिजली कटौती से घर के उपकरण, इंटरनेट, कूलिंग सिस्टम और पानी की आपूर्ति प्रभावित होती है।
2. औद्योगिक क्षेत्र पर असर
उद्योगों को बिजली की अधिक जरूरत होती है, और बिजली की कमी से उत्पादन घट जाता है।
3. कृषि क्षेत्र पर असर
किसानों को सिंचाई के लिए बिजली की जरूरत होती है, और बिजली की कमी से फसलों को नुकसान होता है।
4. आर्थिक विकास में बाधा
बिजली संकट के कारण GDP ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
बिजली संकट से निपटने के संभावित समाधान
1. कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करना
- कोयला खनन बढ़ाने के लिए नई नीतियां लागू करना।
- कोयला आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना।
2. पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना
- सौर और पवन ऊर्जा के लिए बेहतर ग्रिड सिस्टम विकसित करना।
- ऊर्जा भंडारण (बैटरियों) पर निवेश बढ़ाना।
3. बिजली वितरण प्रणाली में सुधार
- बिजली चोरी को रोकने के लिए स्मार्ट मीटर लगाना।
- DISCOMs की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए निजी भागीदारी को बढ़ावा देना।
4. ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम लागू करना
- ऊर्जा की बर्बादी रोकने के लिए LED लाइट्स और ऊर्जा-कुशल उपकरणों को बढ़ावा देना।
- बिजली के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए सरकारी नीतियां बनाना।
5. स्मार्ट ग्रिड और ऊर्जा भंडारण तकनीक
- स्मार्ट ग्रिड के जरिए बिजली आपूर्ति को बेहतर बनाना।
- बैटरी स्टोरेज टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना ताकि बिजली का भंडारण किया जा सके।
निष्कर्ष
भारत में बिजली संकट एक गंभीर चुनौती है, लेकिन यह सही नीतियों और प्रौद्योगिकी निवेश के जरिए हल किया जा सकता है। कोयला आपूर्ति को बढ़ाना, पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करना, और वितरण प्रणाली को सुधारना आवश्यक है।
बिजली की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार, उद्योग और जनता को मिलकर काम करना होगा। यदि सही कदम उठाए जाएं, तो भारत अपने ऊर्जा संकट को दूर कर सकता है और सतत विकास की ओर बढ़ सकता है।

