आरती कश्यप
भूमिका
उत्तर भारत में मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है। कभी अत्यधिक गर्मी, कभी अचानक बारिश, तो कभी शीतलहर – यह क्षेत्र हर मौसम में चरम स्थितियों का सामना करता है। हाल ही में मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तर भारत के कई राज्यों के लिए अलग-अलग मौसम की चेतावनी जारी की है। बदलते मौसम के ये हालात आम जनता के जीवन, खेती, परिवहन और स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव डाल रहे हैं।
मौजूदा मौसम का हाल
1. तापमान में उतार-चढ़ाव
मार्च और अप्रैल के महीने में हीषण गर्मी का असर दिखना शुरू हो गया है।
- दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश में तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है।
- मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक जाने की संभावना है।
- लू (हीटवेव) की चेतावनी भी जारी की गई है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
2. असमय बारिश और ओलावृष्टि
- उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में अचानक बारिश और बर्फबारी दर्ज की गई।
- उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों में तेज आंधी और ओलावृष्टि ने किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया।
3. वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी
दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में गर्मियों के साथ प्रदूषण स्तर भी बढ़ रहा है।
- धूल भरी आंधियां और गर्म हवाएं प्रदूषण को और खतरनाक बना रही हैं।
- AQI (Air Quality Index) कई शहरों में “खराब” से “अत्यधिक खराब” श्रेणी में पहुंच चुका है।
बदलते मौसम के कारण
1. जलवायु परिवर्तन का असर
- जलवायु परिवर्तन के कारण उत्तर भारत में मौसम असंतुलित हो रहा है।
- ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ोतरी से तापमान में असामान्य वृद्धि हो रही है।
2. पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव
- उत्तर भारत में मौसम परिवर्तन का एक बड़ा कारण पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) है।
- यह विक्षोभ ही बारिश, बर्फबारी और ठंडी हवाओं को लेकर आता है।
3. औद्योगीकरण और वनों की कटाई
- अधिक शहरीकरण, प्रदूषण और पेड़ों की कटाई से मौसम का संतुलन बिगड़ रहा है।
- इसका प्रभाव खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर और अन्य महानगरों में देखा जा सकता है।
बदलते मौसम का प्रभाव
1. कृषि पर असर
- असमय बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं, सरसों और दलहनों की फसलें प्रभावित हो रही हैं।
- जल संकट से सिंचाई प्रभावित होती है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
2. जनजीवन पर असर
- गर्मियों में लू और हीटवेव से स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं।
- असमय बारिश से यातायात और बिजली आपूर्ति बाधित होती है।
3. स्वास्थ्य समस्याएं
- गर्मी और उमस से डिहाइड्रेशन, लू, त्वचा रोग और एलर्जी की समस्या बढ़ जाती है।
- वायु प्रदूषण से सांस की बीमारियां और आंखों में जलन जैसी परेशानियां बढ़ रही हैं।
समाधान और बचाव के उपाय
1. लू और गर्मी से बचाव
- दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक तेज धूप में बाहर जाने से बचें।
- अधिक से अधिक पानी और तरल पदार्थ पिएं।
- हल्के रंग के और सूती कपड़े पहनें।
2. कृषि के लिए उपाय
- असमय बारिश और ओलावृष्टि से फसल बचाने के लिए जल संरक्षण तकनीक अपनाएं।
- सरकार को चाहिए कि किसानों के लिए बीमा और राहत योजनाओं को मजबूत करे।
3. प्रदूषण नियंत्रण
- पेड़ लगाना और हरियाली बढ़ाना आवश्यक है।
- सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहनों का अधिक उपयोग किया जाए।
निष्कर्ष
उत्तर भारत में मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है, जो मानव जीवन, कृषि, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल रहा है। जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के कारण यह समस्या और गंभीर होती जा रही है। इसलिए सरकार, वैज्ञानिकों और आम जनता को मिलकर पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यदि समय रहते प्रभावी समाधान लागू नहीं किए गए, तो आने वाले वर्षों में मौसम की यह अनिश्चितता और भी विनाशकारी साबित हो सकती है।

