औरंगजेब: क्या वह वास्तव में दरियादिल था?
मुगल सम्राट औरंगजेब भारतीय इतिहास का एक ऐसा नाम है, जिस पर हमेशा बहस होती रही है। कुछ इतिहासकार उसे एक धार्मिक कट्टरपंथी और क्रूर शासक के रूप में देखते हैं, जबकि कुछ लोग उसे न्यायप्रिय और दरियादिल बताते हैं। हाल ही में, औरंगजेब पर दिए गए कुछ राजनीतिक बयानों ने इस बहस को और तेज कर दिया है। इस लेख में हम तथ्यों और ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर यह जानने की कोशिश करेंगे कि क्या औरंगजेब वास्तव में दरियादिल था?
1. औरंगजेब: एक परिचय
औरंगजेब आलमगीर (1658-1707) मुगल वंश का छठा और सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला सम्राट था। उसने लगभग 50 वर्षों तक शासन किया और मुगल साम्राज्य का विस्तार किया। उसके शासनकाल में मुगल सत्ता अपने चरम पर थी, लेकिन यह भी कहा जाता है कि उसकी कठोर नीतियों के कारण मुगल साम्राज्य का पतन शुरू हो गया।
- जन्म: 3 नवंबर 1618
- राज्याभिषेक: 1658 में शाहजहाँ को हटाकर सत्ता हथियाई
- मृत्यु: 3 मार्च 1707
2. औरंगजेब का धार्मिक दृष्टिकोण
(क) मंदिरों का विध्वंस और हिंदू विरोधी नीतियाँ
औरंगजेब के शासनकाल में कई मंदिरों को तोड़ा गया, जिसमें काशी विश्वनाथ, मथुरा के केशवदेव मंदिर और सोमनाथ मंदिर प्रमुख हैं।
- 1669 में उसने आदेश दिया कि गैर-इस्लामिक धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया जाए।
- वाराणसी और मथुरा में प्रसिद्ध मंदिर तोड़े गए और उनकी जगह मस्जिदें बनाई गईं।
- जज़िया कर (गैर-मुसलमानों पर लगने वाला कर) को फिर से लागू किया गया, जिसे अकबर ने समाप्त कर दिया था।
इन नीतियों के कारण उसे हिंदू-विरोधी शासक कहा जाता है। हालाँकि, कुछ इतिहासकार यह भी तर्क देते हैं कि यह निर्णय केवल राजनीतिक कारणों से लिए गए थे, न कि धार्मिक कट्टरता के कारण।
(ख) हिंदू सरदारों की नियुक्ति
औरंगजेब के दरबार में कई हिंदू सरदार और मंत्री थे।
- राजा जय सिंह, जसवंत सिंह और मिर्जा राजा राम सिंह जैसे हिंदू राजाओं ने उसकी सेना में ऊँचे पद प्राप्त किए थे।
- उसने कई मराठा सरदारों को अपने अधीन कर लिया था।
इससे यह तर्क दिया जाता है कि वह पूरी तरह से हिंदू-विरोधी नहीं था, बल्कि सत्ता के लिए कूटनीतिक फैसले लेता था।
3. क्या औरंगजेब दरियादिल था?अब सवाल यह उठता है कि क्या औरंगजेब वास्तव में दयालु (दरियादिल) था?
(क) सादा जीवन और धार्मिक अनुशासन
- उसने अपने व्यक्तिगत जीवन में सादगी को अपनाया।
- अपने खर्चों को पूरा करने के लिए वह खुद टोपी सिलता था और कुरान की नक़ल करता था।
- उसने कभी भी भव्य महल नहीं बनवाया और न ही विलासिता की वस्तुओं में रुचि दिखाई।
(ख) न्यायप्रिय राजा?
कुछ इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब न्यायप्रिय था और वह किसी के भी खिलाफ अन्याय नहीं करता था।
- वह अपने भाइयों दारा शिकोह और शुजा को भी इसी “न्याय” के आधार पर हटाने की बात करता था।
- उसने अपने पिता शाहजहाँ को कैद कर दिया, क्योंकि उसे लगता था कि वे राज्य को सही से नहीं चला सकते।
हालांकि, कई लोगों का मानना है कि यह न्याय नहीं, बल्कि सत्ता की भूख थी।
(ग) धार्मिक सहिष्णुता?
हालाँकि उसने कई मंदिरों को तोड़ा, लेकिन कुछ मंदिरों को संरक्षण भी दिया।
- नाथ सम्प्रदाय के मंदिरों को उसने करों में छूट दी।
- कई बार उसने मंदिरों के लिए दान भी दिया।
लेकिन यह दरियादिली की तुलना में राजनीतिक रणनीति अधिक लगती है।
4. औरंगजेब की क्रूरता(क) दारा शिकोह की हत्या
औरंगजेब ने अपने बड़े भाई दारा शिकोह को सत्ता संघर्ष में हराकर बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया।
- दारा एक उदार और सूफी विचारधारा का समर्थक था, जिसे हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता था।
- औरंगजेब ने उसे “काफिर” करार दिया और 1659 में उसका सिर काटकर दिल्ली में सार्वजनिक रूप से घुमाया।
(ख) गुरु तेग बहादुर की हत्या
- सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर को इस्लाम कबूल न करने के कारण 1675 में दिल्ली में शहीद कर दिया गया।
- इसके बाद, औरंगजेब के खिलाफ सिखों में भारी आक्रोश पैदा हुआ और गुरु गोबिंद सिंह ने मुगलों के खिलाफ जंग का ऐलान किया।
(ग) शिवाजी और मराठा संघर्ष
- शिवाजी को औरंगजेब ने अपने दरबार में बुलाकर कैद कर लिया, लेकिन वह चतुराई से बच निकले।
- इसके बाद, मराठा साम्राज्य ने मुगलों की शक्ति को कमजोर कर दिया।
5. क्या औरंगजेब का शासन भारत के लिए अच्छा था?
(क) सकारात्मक पक्ष
- उसने मुगल साम्राज्य का विस्तार किया और दक्षिण भारत में विजय हासिल की।
- प्रशासन में कुछ कड़े सुधार किए, जिससे सेना और कर प्रणाली को मजबूत किया गया।
(ख) नकारात्मक पक्ष
- उसकी कट्टर नीतियों के कारण राजपूत, मराठा और सिख सभी उसके खिलाफ हो गए।
- मुगल साम्राज्य की नींव हिल गई और उसकी मृत्यु के बाद मुगल सत्ता तेजी से गिरने लगी।
6. इतिहास और वर्तमान राजनीति
आज औरंगजेब को लेकर राजनीति हो रही है। कुछ लोग उसे एक न्यायप्रिय राजा मानते हैं, तो कुछ उसे हिंदू विरोधी बताते हैं।
- कुछ नेताओं द्वारा उसे “दरियादिल” कहा जाता है, जबकि कई इतिहासकार इसे असत्य मानते हैं।
- उसके शासन को केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी देखने की जरूरत है।
7. निष्कर्ष: क्या औरंगजेब वास्तव में दरियादिल था?
नहीं, औरंगजेब को पूरी तरह से दरियादिल कहना गलत होगा।
- उसने अपने परिवार के सदस्यों, राजाओं, धार्मिक नेताओं और आम जनता के प्रति क्रूरता दिखाई।
- वह कट्टर इस्लामी विचारधारा का समर्थक था, जिसने कई धार्मिक स्थानों को ध्वस्त किया।
- हालांकि, कुछ प्रशासनिक सुधारों और उसकी सादगी के कारण उसे न्यायप्रिय भी कहा जाता है।
लेकिन सच्चाई यह है कि उसकी नीतियों के कारण ही मुगल साम्राज्य का पतन हुआ। इसलिए, औरंगजेब को “दरियादिल” कहना ऐतिहासिक तथ्यों से मेल नहीं खाता।




