AARTI KASHYAP
परिचय रंगों के त्योहार होली की अलग-अलग जगहों पर अनूठी परंपराएँ हैं, लेकिन जब बात बरसाना की होली की आती है, तो इसकी खासियत और भव्यता देखते ही बनती है। बरसाना, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक स्थान है, जो श्रीकृष्ण की प्रियतमा राधा रानी का जन्मस्थान माना जाता है। यहाँ होली सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि रीति-रिवाजों और अनूठी परंपराओं का त्योहार है। लड्डू मार होली इस उत्सव की पहली कड़ी होती है, जो बरसाना में धूमधाम से मनाई जाती है।
लड्डू मार होली का महत्व बरसाना की होली पूरे देश में प्रसिद्ध है, और इसकी शुरुआत लड्डू मार होली से होती है। यह परंपरा बरसाना के श्री राधा रानी मंदिर में हर साल होली से कुछ दिन पहले मनाई जाती है। इस होली में लड्डू फेंककर एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देने की परंपरा है। कहा जाता है कि यह आयोजन भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम-लीलाओं से जुड़ा हुआ है।
लड्डू मार होली का आयोजन बरसाना में लड्डू मार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आयोजित की जाती है। इस दिन भक्त और श्रद्धालु श्री राधा रानी मंदिर में एकत्र होते हैं और भगवान को भोग चढ़ाने के बाद लड्डुओं की वर्षा करते हैं। इस अनोखी होली में गुलाल और अबीर के साथ लड्डू भी बरसाए जाते हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय और उल्लासपूर्ण हो जाता है।
त्योहार की खासियतें
- मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना:
- इस दिन श्री राधा रानी मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है।
- विशेष आरती और भजन-कीर्तन होते हैं।
- श्रद्धालु भगवान कृष्ण और राधा रानी के जयकारे लगाते हैं।
- लड्डुओं की वर्षा:
- मंदिर में उपस्थित पुजारी भक्तों पर लड्डू बरसाते हैं।
- श्रद्धालु एक-दूसरे पर प्रेमपूर्वक लड्डू फेंकते हैं।
- इसे सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- गोलोक की अनुभूति:
- भक्त इस आयोजन को श्रीकृष्ण की बाललीलाओं का हिस्सा मानते हैं।
- मंदिर में उमड़ती भीड़ और भक्ति भाव से पूरा वातावरण आध्यात्मिक बन जाता है।
लड्डू मार होली और लठमार होली का संबंध लड्डू मार होली के अगले दिन बरसाना की प्रसिद्ध लठमार होली खेली जाती है। इस दिन नंदगाँव के पुरुष बरसाना आते हैं और महिलाएँ लाठियों से उन्हें पीटती हैं, जबकि पुरुष बचने का प्रयास करते हैं। यह परंपरा कृष्ण और उनकी सखाओं द्वारा राधा और उनकी सखियों से होली खेलने की कथा से जुड़ी हुई है।
बरसाना में लड्डू मार होली की तैयारियाँ हर साल हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक इस विशेष आयोजन में शामिल होते हैं। इसकी तैयारी बहुत पहले से शुरू हो जाती है:
- मंदिर और गलियों की विशेष सजावट
- सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम
- विशेष भोग और प्रसाद की व्यवस्था
- लोकगीत और भजन-कीर्तन के आयोजन
निष्कर्ष बरसाना की लड्डू मार होली न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह प्रेम, भक्ति और उत्साह का अद्भुत संगम भी है। यह अनोखी परंपरा भारत की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखती है और हर वर्ष लाखों लोगों को आनंदित करती है।




