आरती कश्यप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन दौरा भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। यह दौरा दोनों देशों के बीच संबंधों को नए आयामों में ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम था। इस यात्रा के माध्यम से, प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने की कोशिश की, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि भारत और चीन के बीच संवाद और सहयोग के लिए कई नई संभावनाएँ हैं।
इस लेख में हम प्रधानमंत्री मोदी के चीन दौरे के ऐतिहासिक संदर्भ, उद्देश्य, प्रमुख घटनाओं, और यात्रा के परिणामों का विश्लेषण करेंगे।
1. ऐतिहासिक संदर्भ
भारत और चीन के रिश्ते लंबे समय से जटिल और मिश्रित रहे हैं। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद, व्यापारिक प्रतिस्पर्धा, और राजनीतिक विचारधाराओं के भिन्नताएँ हमेशा से रही हैं। 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद, दोनों देशों के बीच रिश्ते और अधिक तनावपूर्ण हो गए। हालांकि, 1970 के दशक के अंत से दोनों देशों ने संवाद और कूटनीतिक स्तर पर संवाद बढ़ाया।
प्रधानमंत्री मोदी के 2015 में पहले चीन दौरे से लेकर, 2018 में उनकी दूसरी यात्रा तक, भारत-चीन संबंधों में एक नई दिशा देखने को मिली। मोदी ने न केवल चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा दिया, बल्कि भारत और चीन के मध्य सीमा विवादों को सुलझाने के लिए भी कई प्रयास किए। यह चीन दौरा इस कड़ी का एक और महत्वपूर्ण चरण था।
2. दौरे का उद्देश्य
प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा कई उद्देश्यों से प्रेरित था:
2.1 द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरे के दौरान भारत और चीन के बीच व्यापार, संस्कृति, और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने की योजना बनाई। दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के नए रास्ते तलाशे गए। मोदी का उद्देश्य था कि दोनों देशों के बीच घातक संघर्ष से बचते हुए, सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा दिया जाए।
2.2 सीमा विवाद पर बातचीत
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। मोदी ने इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर संवाद स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका यह संदेश था कि, जबकि सीमा मुद्दा एक जटिल और पुराना विवाद है, परंतु इसे शांतिपूर्ण और कूटनीतिक तरीके से सुलझाया जा सकता है।
2.3 व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देना
चीन और भारत दोनों ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। मोदी ने इस यात्रा के दौरान व्यापारिक संबंधों को और प्रगाढ़ करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। भारत ने चीन से आयात में कमी करने और निर्यात को बढ़ाने के लिए विभिन्न कदम उठाए। साथ ही, दोनों देशों के बीच निवेश और व्यापार के लिए कई नई पहल की गईं।
2.4 वैश्विक रणनीतिक साझेदारी
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा केवल द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में ही नहीं, बल्कि वैश्विक रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था। भारत और चीन दोनों ही एशिया की प्रमुख शक्तियाँ हैं और वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मोदी ने इस दौरे के दौरान यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि भारत और चीन, दक्षिण एशिया और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक सकारात्मक और सहयोगपूर्ण भूमिका निभा सकें।
3. प्रमुख घटनाएँ
प्रधानमंत्री मोदी के चीन दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटी, जो इस यात्रा को ऐतिहासिक बनाती हैं।
3.1 शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन
प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भाग लेने के लिए था। यह सम्मेलन एससीओ के सदस्य देशों के नेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण मंच था, जहां पर विभिन्न वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। मोदी ने इस मंच पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई विचारों का आदान-प्रदान किया।
3.2 सीमा विवाद पर वार्ता
मोदी ने इस यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति से सीमा विवाद पर सीधी वार्ता की। दोनों देशों के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिस पर विवाद की स्थिति बनी रहती है। हालांकि, मोदी ने सीमा विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने की दिशा में सकारात्मक संकेत दिए और यह भी सुनिश्चित किया कि कोई भी मुद्दा दोनों देशों के संबंधों में विघ्न न डाले।
3.3 व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर
प्रधानमंत्री मोदी के चीन दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच कई व्यापारिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। भारत ने चीन से अपने निर्यात को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाने की बात की, खासकर कृषि उत्पादों और दवाइयों के क्षेत्र में। चीन ने भी भारत के लिए अपने बाजारों में विशेष स्थान बनाने की सहमति दी। इन समझौतों से दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को एक नई दिशा मिली।
3.4 सांस्कृतिक और शिक्षा क्षेत्र में सहयोग
प्रधानमंत्री मोदी ने इस यात्रा के दौरान भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की। दोनों देशों के बीच कला, साहित्य, और संस्कृति का आदान-प्रदान बढ़ाने की योजना बनाई गई। इसके अलावा, दोनों देशों के छात्रों के बीच संवाद और अनुभव साझा करने के लिए विशेष कार्यक्रमों की योजना बनाई गई।
4. यात्रा के परिणाम
प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा भारतीय कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कई महत्वपूर्ण परिणाम लेकर आया। इस यात्रा के माध्यम से कई बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया गया, जिनसे दोनों देशों के संबंधों में सुधार और मजबूती आई।
4.1 व्यापारिक रिश्तों में वृद्धि
प्रधानमंत्री मोदी ने चीन दौरे के दौरान व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए। चीन ने भारत के उत्पादों के लिए अपने बाजारों को खोलने की सहमति दी, जिससे भारतीय निर्यातकों को लाभ हुआ। इसके अलावा, भारत और चीन के बीच निवेश के नए रास्ते भी खुले।
4.2 सीमा विवाद पर एक नया दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा विवाद के समाधान के लिए एक नया दृष्टिकोण पेश किया। दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति बनाए रखने की दिशा में कई समझौते हुए और बातचीत के लिए एक बेहतर मंच तैयार हुआ। हालांकि, सीमा विवाद का पूरी तरह समाधान नहीं हुआ, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए गए।
4.3 वैश्विक कूटनीति में भारत की स्थिति
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भारत की वैश्विक कूटनीति में महत्वपूर्ण साबित हुआ। मोदी ने यह स्पष्ट किया कि भारत और चीन के रिश्ते सिर्फ द्विपक्षीय नहीं हैं, बल्कि ये एशिया और पूरी दुनिया में प्रभाव डालने वाले हैं। दोनों देशों ने कई वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के संकेत दिए, जिसमें आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक आर्थिक स्थिरता शामिल थे।
5. निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा भारत-चीन संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जो द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने, व्यापार बढ़ाने, और सीमा विवादों को सुलझाने के संदर्भ में अहम साबित हुए। यह दौरा दोनों देशों के बीच सकारात्मक संवाद का एक उदाहरण था और भविष्य में भारत-चीन संबंधों के नए दौर की नींव रखने में सहायक होगा।
प्रधानमंत्री मोदी के इस चीन दौरे ने यह स्पष्ट कर दिया कि, भले ही दोनों देशों के बीच सीमा विवाद हो, लेकिन संवाद और कूटनीति के माध्यम से सकारात्मक समाधान की ओर बढ़ा जा सकता है। यह यात्रा भारतीय कूटनीति की सफलता का प्रतीक थी और भविष्य में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।




