आरती कश्यप
प्रस्तावना
भारत एक विशाल देश है, और यहां की विविधता केवल सांस्कृतिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय भी है। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में, हमारे देश में स्वच्छता को लेकर बड़े स्तर पर समस्याएं देखी गई हैं। गंदगी, कूड़ा-करकट, और सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता की कमी ने भारतीय समाज में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा की थीं। इन समस्याओं से निपटने के लिए, भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन (Clean India Mission) का शुभारंभ किया। इस मिशन का उद्देश्य भारत को स्वच्छ, सुंदर और स्वस्थ बनाना था।
स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य ना केवल शहरी और ग्रामीण इलाकों में साफ-सफाई के स्तर को बढ़ाना था, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन बनकर भारतीय नागरिकों को स्वच्छता के महत्व से भी अवगत कराता है। इसके अंतर्गत स्वच्छता अभियान को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाने और जीवनशैली में बदलाव लाने की कोशिश की गई। यह मिशन महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को शुरू किया गया था, जो उनके विचारों और दर्शन के अनुरूप था। गांधी जी ने भी जीवन में स्वच्छता को अत्यधिक महत्व दिया था, और उनका मानना था कि स्वच्छता के बिना समाज की प्रगति संभव नहीं है।
इस लेख में हम स्वच्छ भारत मिशन की प्रगति, इसकी उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य के प्रयासों पर विस्तृत चर्चा करेंगे। हम यह भी समझने की कोशिश करेंगे कि इस मिशन ने समाज पर कैसे प्रभाव डाला है और इसके अंतर्गत कितनी कार्यवाही की गई है।
स्वच्छ भारत मिशन की स्थापना
स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को की थी, जो महात्मा गांधी की 145वीं जयंती के अवसर पर था। यह मिशन एक महत्वाकांक्षी और व्यापक पहल थी, जिसका उद्देश्य देशभर में स्वच्छता को बढ़ावा देना था। मिशन के दो मुख्य घटक थे:
- स्वच्छ भारत मिशन (शहरी)
- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)
इन दोनों घटकों का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों, सरकारी दफ्तरों, और सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के अन्य स्थानों पर स्वच्छता को बढ़ावा देना था।
मिशन के उद्देश्यों और लक्ष्यों की स्थापना
स्वच्छ भारत मिशन के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे:
- स्वच्छता की संस्कृति का निर्माण: यह अभियान केवल सफाई का काम नहीं था, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन बनाकर लोगों के जीवन में स्वच्छता को एक आदत बनाने का था।
- खुले में शौच की प्रथा का उन्मूलन: खासकर ग्रामीण इलाकों में खुले में शौच की समस्या को खत्म करना मिशन का अहम उद्देश्य था।
- सैनिटेशन का विकास: पानी की सफाई, सीवेज और ठोस कचरे के प्रबंधन की दिशा में सुधार करना।
- स्वच्छता के प्रति जागरूकता और शिक्षा: नागरिकों को स्वच्छता के महत्व के प्रति जागरूक करना।
- नौकरशाही और निजी क्षेत्रों में सहभागिता: स्थानीय सरकारों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करना।
स्वच्छ भारत मिशन की प्रगति
स्वच्छ भारत मिशन के पहले कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण प्रयास किए गए। इस मिशन ने भारतीय समाज में स्वच्छता की अवधारणा को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। नीचे हम मिशन की प्रगति और इसके प्रमुख आंकड़ों की समीक्षा करेंगे।
1. ग्रामीण इलाकों में शौचालयों का निर्माण
स्वच्छ भारत मिशन का एक प्रमुख लक्ष्य खुले में शौच की प्रथा को समाप्त करना था। 2014 में मिशन की शुरुआत के समय, भारत के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच की समस्या गंभीर थी। इसके समाधान के लिए, सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया।
2014 के बाद, सरकार ने गांवों में शौचालयों के निर्माण के लिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत भारी निवेश किया। इसके अंतर्गत 10 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है, जिससे लाखों परिवारों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया और उनकी स्वास्थ्य स्थिति में सुधार हुआ। इसके अलावा, 2019 में भारत को खुले में शौच से मुक्त (ODF) घोषित किया गया।
2. कचरे के प्रबंधन में सुधार
स्वच्छ भारत मिशन का एक और प्रमुख उद्देश्य कचरे के प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करना था। इसके तहत कचरे का अलग-अलग वर्गीकरण, सॉर्टिंग, रीसाइक्लिंग, और डंपिंग के प्रबंधन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया गया। शहरी इलाकों में कचरा प्रबंधन और उसके निस्तारण के लिए कई प्रयास किए गए हैं।
आज भारत के कई प्रमुख शहरों में कचरे के निस्तारण के लिए ‘स्वच्छता सर्वेक्षण’ जैसी पहलें शुरू की गई हैं, जो शहरों की स्वच्छता दर को मापने का काम करती हैं। इसके परिणामस्वरूप, कई शहरों ने खुद को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि कचरा बिन, वेस्ट-टू-एनेर्जी प्लांट्स और बायोडिग्रेडेबल कचरे के लिए योजना बनाना।
3. स्वच्छता जागरूकता अभियान
स्वच्छ भारत मिशन का एक महत्वपूर्ण पहलू जन जागरूकता था। मिशन के तहत कई जागरूकता कार्यक्रम और अभियान चलाए गए। इसमें ‘स्वच्छता ही सेवा’ जैसे अभियानों के माध्यम से नागरिकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छता के महत्व को लोगों तक पहुँचाने के लिए कई प्रसिद्ध हस्तियों को भी अभियान से जोड़ा, जिनमें फिल्म अभिनेता, खिलाड़ी, और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे। इस जागरूकता अभियान ने न केवल शहरी क्षेत्रों में, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी स्वच्छता के प्रति लोगों का नजरिया बदला है।
4. कंपनी और सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी
स्वच्छ भारत मिशन के तहत निजी कंपनियों और सार्वजनिक संस्थानों ने भी सक्रिय भूमिका निभाई है। विभिन्न सरकारी और निजी क्षेत्रों में सफाई के उपायों को लागू किया गया है। रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड्स, और प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर सफाई सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने स्वच्छता निगरानी समितियों का गठन किया है। कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए स्वच्छता से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
5. शहरी स्वच्छता मिशन का प्रभाव
स्वच्छ भारत मिशन का शहरी इलाकों में भी गहरा प्रभाव पड़ा है। शहरों के बीच स्वच्छता सर्वेक्षण को प्रतिस्पर्धात्मक रूप से लागू किया गया है, जिससे नगर निगमों और स्थानीय प्रशासन ने स्वच्छता के प्रयासों को तेज़ी से लागू किया। इंदौर, स्वच्छ भारत मिशन के तहत पहले स्थान पर रहा, इसके बाद भोपाल, चंडीगढ़ और नवी मुंबई जैसे शहरों ने भी सफाई के क्षेत्र में उत्कृष्टता दिखाई।
चुनौतियाँ और सीमाएँ
जहाँ एक ओर स्वच्छ भारत मिशन ने कई सफलताएँ प्राप्त की हैं, वहीं इस मिशन के दौरान कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी आई हैं। इन चुनौतियों में शामिल हैं:
- वित्तीय संसाधनों की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों का निर्माण एक महंगी प्रक्रिया है और इसके लिए वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है। हालांकि सरकार ने कई कदम उठाए, लेकिन यह क्षेत्र अभी भी अपेक्षाकृत कमजोर है।
- स्थानीय प्रशासन की कार्यकुशलता: स्थानीय प्रशासन की कार्यकुशलता और उनकी प्रतिबद्धता मिशन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। कुछ स्थानों पर प्रशासन के स्तर पर समुचित प्रयासों की कमी रही है, जिससे मिशन की प्रगति धीमी रही है।
- सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएँ: कुछ क्षेत्रों में खुले में शौच की प्रथा और स्वच्छता को लेकर गहरे सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दे हैं, जिन्हें बदलने में समय लगता है। इसके अलावा, सफाई कर्मचारियों के प्रति सामाजिक भेदभाव भी एक चुनौती है।
भविष्य की दिशा
स्वच्छ भारत मिशन की सफलता के बाद, इसका अगला कदम इसके उद्देश्यों की निरंतरता और सामाजिक बदलाव को और गहरा करना है। भविष्य में इस मिशन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित दिशा-निर्देशों पर काम किया जाएगा:
- स्थिरता: स्वच्छता के उपायों की स्थिरता को सुनिश्चित करना एक प्रमुख चुनौती है। स्थानीय निकायों और नागरिकों को इसे अपनी दैनिक आदतों में शामिल करना होगा।
- नवीन तकनीकों का इस्तेमाल: स्वच्छता के उपायों को और अधिक स्मार्ट बनाने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग बढ़ाया जाएगा। जैसे कि डिजिटल प्लेटफार्मों पर सफाई प्रबंधन, रीयल-टाइम डेटा निगरानी, और स्मार्ट कचरा प्रबंधन प्रणाली।
- नागरिक भागीदारी में वृद्धि: जनता की भागीदारी को और अधिक बढ़ावा देना और स्वच्छता के प्रति उनके दायित्व को और गहरे स्तर पर बढ़ाना।
निष्कर्ष
स्वच्छ भारत मिशन ने भारतीय समाज में स्वच्छता की अवधारणा को एक नया आकार दिया है। इस मिशन के माध्यम से लाखों लोगों की जिंदगी में सुधार आया है और देश भर में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी है। हालांकि इस मिशन के सामने कुछ चुनौतियाँ भी रही हैं, लेकिन इसके द्वारा किए गए प्रयासों से यह स्पष्ट है कि स्वच्छता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव संभव है। आने वाले वर्षों में, यह मिशन भारत को एक स्वस्थ, स्वच्छ, और समृद्ध राष्ट्र बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।




