आरती कश्यप
परिचय
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में राज्यों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और साझा सुरक्षा, व्यापार, और रणनीतिक हितों पर चर्चा करने के लिए उच्च स्तरीय यात्रा और वार्ताएँ महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। जब अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (Director of National Intelligence – DNI) तुलसी गबार्ड ने भारत का दौरा किया, तो यह यात्रा वैश्विक सुरक्षा, खुफिया सहयोग, और द्विपक्षीय संबंधों को लेकर नई दिशा तय करने का एक अवसर बनी।
तुलसी गबार्ड, जो पहले हवाई की कांग्रेसwoman थीं, ने अपने राजनीतिक जीवन में एक मजबूत पहचान बनाई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा उन्हें राष्ट्रीय खुफिया निदेशक की जिम्मेदारी दी गई थी, और उनके पदभार संभालने के बाद उनकी प्राथमिकताएँ वैश्विक खुफिया सहयोग और सुरक्षा मामलों पर केंद्रित रही हैं। भारत, जो वैश्विक शक्ति बनता जा रहा है, और अमेरिका, जो वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक ताकत के रूप में उभरा है, दोनों देशों के बीच खुफिया और सुरक्षा मामलों पर सहयोग को बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। गबार्ड की भारत यात्रा ने इस द्विपक्षीय सहयोग को एक नई दिशा देने की संभावना पैदा की है।
इस लेख में, हम तुलसी गबार्ड की भारत यात्रा के उद्देश्य, प्रमुख घटनाओं, भारतीय सरकार के साथ उनकी बातचीत, और इस यात्रा के व्यापक कूटनीतिक और सुरक्षा पहलुओं का विश्लेषण करेंगे।
1. तुलसी गबार्ड का राजनीतिक और खुफिया कॅरियर
तुलसी गबार्ड की राजनीतिक यात्रा और खुफिया निदेशक के रूप में नियुक्ति को समझने के लिए हमें उनके पिछले कॅरियर पर एक नजर डालनी होगी। तुलसी गबार्ड हवाई से अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य थीं और वे 2013 से 2021 तक इस पद पर कार्यरत रहीं। कांग्रेसwoman के रूप में उनकी पहचान सुरक्षा मामलों, विदेश नीति, और रक्षा सुधारों पर उनके मजबूत दृष्टिकोण से बनी थी।
गबार्ड ने विशेष रूप से अमेरिकी विदेश नीति और सुरक्षा रणनीतियों पर स्पष्ट और कभी-कभी विवादास्पद विचार व्यक्त किए हैं। वे अमेरिका के सैन्य हस्तक्षेपों के खिलाफ रही हैं और विदेशों में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को सीमित करने की वकालत करती रही हैं। इसके बावजूद, उनकी कूटनीतिक समझ और विदेशों में अमेरिकी नीतियों के प्रति संवेदनशीलता ने उन्हें एक कुशल नेता के रूप में स्थापित किया।
2021 में, राष्ट्रपति जो बिडेन ने उन्हें राष्ट्रीय खुफिया निदेशक नियुक्त किया, जहां उनका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों को सुव्यवस्थित करना और खुफिया एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाना था।
2. भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंध
भारत और अमेरिका के बीच संबंध दशकों से प्रगति कर रहे हैं, विशेषकर सुरक्षा और खुफिया सहयोग के संदर्भ में। भारत और अमेरिका दोनों ने साझा वैश्विक खतरों का सामना किया है, जैसे आतंकवाद, साइबर हमले, और अन्य सुरक्षा चुनौतियाँ। दोनों देशों ने इन खतरों से निपटने के लिए अपनी खुफिया एजेंसियों के बीच सहयोग को मजबूत किया है।
अमेरिका-भारत खुफिया सहयोग: अमेरिका और भारत के खुफिया एजेंसियों के बीच लंबे समय से सहयोग बढ़ा है। भारतीय खुफिया सेवा (RAW) और अमेरिकी केंद्रीय खुफिया एजेंसी (CIA) के बीच सहयोग, आतंकवाद और असैन्य सुरक्षा के मामलों में संयुक्त प्रयासों की दिशा में बढ़ा है। इसके अतिरिक्त, दोनों देशों ने सैन्य सुरक्षा, विशेषकर समुद्री सुरक्षा, और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी अपनी भागीदारी बढ़ाई है।
तुलसी गबार्ड की यात्रा का मुख्य उद्देश्य इसी द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करना था। साथ ही, इस यात्रा ने वैश्विक सुरक्षा के समक्ष आने वाली नई चुनौतियों का सामना करने के लिए दोनों देशों को एकजुट किया।
3. तुलसी गबार्ड की भारत यात्रा के उद्देश्य
गबार्ड की भारत यात्रा का उद्देश्य केवल कूटनीतिक और खुफिया सहयोग को बढ़ाना नहीं था, बल्कि इसे अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संबंधों की व्यापक रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा सकता है। इस यात्रा में कई प्रमुख उद्देश्यों को ध्यान में रखा गया था:
1. खुफिया सहयोग में वृद्धि: भारत और अमेरिका के बीच खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान को बढ़ाना, खासकर आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, और घातक हथियारों के प्रसार को लेकर। गबार्ड के पदभार संभालने के बाद यह यात्रा उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी, जहां दोनों देशों के खुफिया अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय और साझेदारी की आवश्यकता थी।
2. आतंकवाद से मुकाबला: भारत और अमेरिका दोनों ही वैश्विक आतंकवाद के शिकार हैं। गबार्ड ने आतंकवाद के खतरे के खिलाफ संयुक्त प्रयासों को सुदृढ़ करने पर जोर दिया। अमेरिकी और भारतीय खुफिया एजेंसियों ने अपने प्रयासों को और तेज़ किया, विशेषकर पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों की गतिविधियों के खिलाफ।
3. साइबर सुरक्षा और नई प्रौद्योगिकियों में सहयोग: साइबर सुरक्षा, एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और अन्य उन्नत प्रौद्योगिकियों में सहयोग को बढ़ावा देना। दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करने पर विचार किया, जो अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में अहम है।
4. रक्षा और रणनीतिक साझेदारी: भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध भी महत्वपूर्ण हैं। गबार्ड की यात्रा ने रक्षा मामलों में सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए। दोनों देशों ने अपने सैन्य अभ्यासों और रणनीतिक साझेदारी को और विस्तारित करने पर सहमति जताई।
4. तुलसी गबार्ड की भारत यात्रा के प्रमुख घटनाएँ
तुलसी गबार्ड ने भारत में कई महत्वपूर्ण बैठकों और वार्ताओं में भाग लिया। उनकी यात्रा की मुख्य घटनाएँ इस प्रकार थीं:
1. भारतीय अधिकारियों से बैठकें: गबार्ड ने भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, विदेश मंत्री एस जयशंकर, और गृह मंत्री अमित शाह से विस्तृत वार्ताएँ कीं। इन बैठकों में भारत-अमेरिका के बीच सुरक्षा, खुफिया सहयोग, और रक्षा समझौतों पर चर्चा की गई।
2. आतंकवाद और सुरक्षा पर चर्चा: तुलसी गबार्ड ने भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों की सराहना की और दोनों देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों पर संयुक्त कार्रवाई की महत्ता को रेखांकित किया।
3. साइबर सुरक्षा और नई प्रौद्योगिकियाँ: भारत और अमेरिका के बीच साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने के लिए गबार्ड ने प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों से बैठक की। दोनों देशों ने साइबर हमलों के खिलाफ एक साझा रणनीति बनाने की योजना बनाई, विशेषकर इन्टरनेट आधारित आतंकवाद और डेटा सुरक्षा के मुद्दों पर।
4. रक्षा सहयोग: भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए दोनों देशों ने नए सैन्य समझौतों और संयुक्त सैन्य अभ्यासों पर चर्चा की। गबार्ड ने भारतीय सेना और अमेरिकी सेना के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।
5. भारत-अमेरिका संबंधों पर असर और भविष्य की रणनीतियाँ
तुलसी गबार्ड की भारत यात्रा ने भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया। दोनों देशों ने वैश्विक सुरक्षा, खुफिया सहयोग, और रणनीतिक साझेदारी पर नए दृष्टिकोण अपनाए।
1. रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना: गबार्ड की यात्रा के बाद, भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। दोनों देशों ने न केवल सुरक्षा के मुद्दों पर सहयोग किया, बल्कि वैश्विक कूटनीति और व्यापार में भी सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया।
2. संयुक्त खुफिया नेटवर्क: भारत और अमेरिका ने अपनी खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान के लिए एक अधिक समन्वित और संरचित नेटवर्क बनाने पर सहमति जताई। यह नेटवर्क आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, और अंतरराष्ट्रीय खतरों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
3. क्षेत्रीय सुरक्षा: भारत और अमेरिका ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सुरक्षा रणनीतियों को और समन्वित किया। यह क्षेत्रीय सहयोग चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति और अन्य वैश्विक सुरक्षा खतरों के संदर्भ में महत्वपूर्ण था।
6. निष्कर्ष
अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड की भारत यात्रा न केवल कूटनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थी, बल्कि इसने भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को एक नए स्तर पर पहुंचाया। गबार्ड ने अपनी यात्रा के दौरान जो वार्ताएँ कीं, उन्होंने दोनों देशों के सुरक्षा और खुफिया सहयोग को और सुदृढ़ किया। आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, और क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा करके, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत हों, जो आने वाले समय में वैश्विक सुरक्षा के संदर्भ में बेहद अहम साबित हो सकते हैं।
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता हुआ कूटनीतिक और सुरक्षा सहयोग न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे एशिया और विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। भविष्य में, गबार्ड की इस यात्रा के सकारात्मक परिणामों का प्रभाव लंबे समय तक देखा जा सकता है, जो दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा।




