आरती कश्यप
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस (World Consumer Rights Day) हर वर्ष 15 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन उपभोक्ताओं के अधिकारों और उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की आवश्यकता और उद्देश्य समय-समय पर बदलते हुए उपभोक्ता अधिकारों की स्थिति, उनकी चुनौतियाँ और उनसे जुड़े कानूनी पहलुओं को सामने लाना है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना है ताकि वे अपने हितों की रक्षा कर सकें और बाजार में अपने अधिकारों का सही तरीके से उपयोग कर सकें।
इतिहास और महत्व
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की शुरुआत 1983 में हुई थी, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी ने उपभोक्ता अधिकारों की अहमियत को स्वीकार करते हुए अमेरिकी कांग्रेस में उपभोक्ता अधिकारों का समर्थन किया था। राष्ट्रपति कैनेडी के प्रस्ताव के बाद, उपभोक्ताओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिन निर्धारित किया गया। इसके बाद 1983 में यह दिन औपचारिक रूप से मनाया जाने लगा। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न पहल की शुरुआत की।
उपभोक्ता अधिकारों की परिभाषा
उपभोक्ता अधिकारों का मतलब है वे अधिकार जो किसी भी व्यक्ति को जब वह वस्त्र, खाद्य पदार्थ, सेवाएं या कोई अन्य उत्पाद खरीदता है, तब उसे प्राप्त होते हैं। यह अधिकार किसी भी उपभोक्ता को एक न्यायपूर्ण और सुरक्षित बाजार में ले जाने के लिए बनाए जाते हैं, जहां वे अपनी खरीदारी कर सकें और उनका शोषण न हो। उपभोक्ता अधिकारों में कई पहलू शामिल होते हैं, जैसे:
- सुरक्षा का अधिकार (Right to Safety) – उपभोक्ताओं को यह अधिकार होता है कि वे सुरक्षित और गुणवत्ता वाले उत्पादों का सेवन करें और उनका जीवन खतरे में न हो।
- सूचना का अधिकार (Right to Information) – उपभोक्ताओं को यह अधिकार है कि वे उत्पाद या सेवा के बारे में सही और पूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
- चयन का अधिकार (Right to Choose) – उपभोक्ताओं को यह अधिकार है कि वे विभिन्न विकल्पों में से अपनी पसंद का उत्पाद या सेवा चुन सकें, बिना किसी दबाव के।
- प्रतिस्पर्धा का अधिकार (Right to be Heard) – उपभोक्ताओं को यह अधिकार है कि उनकी शिकायतों और समस्याओं को सुना जाए और उन पर कार्रवाई की जाए।
- मरम्मत और प्रतिस्थापन का अधिकार (Right to Redress) – उपभोक्ताओं को यह अधिकार है कि वे अपने उत्पाद या सेवा से संबंधित किसी भी प्रकार की त्रुटि या दोष के लिए उचित मुआवजा प्राप्त करें।
- स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Consumer Education) – उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का उद्देश्य
- उपभोक्ताओं को जागरूक करना: इस दिन का प्रमुख उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। इसके जरिए उपभोक्ता यह जान पाते हैं कि उनके पास कौन-कौन से अधिकार हैं और इनका कैसे प्रयोग किया जा सकता है।
- शोषण से बचाव: बाजार में उत्पादों या सेवाओं के साथ किसी प्रकार का धोखाधड़ी या शोषण न हो, इसके लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है। उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वे अपने अधिकारों का प्रयोग कर शोषण से बच सकें।
- समाज में बदलाव लाना: उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए समाज में जागरूकता फैलाने का यह एक अवसर है। यह दिन समाज के विभिन्न वर्गों को उनके अधिकारों के बारे में बताने का एक माध्यम है।
- उपभोक्ता संरक्षण कानूनों का प्रचार: इस दिन उपभोक्ता संरक्षण कानूनों और नियमों की जानकारी दी जाती है ताकि उपभोक्ताओं को यह समझ में आए कि अगर उनके अधिकारों का उल्लंघन होता है तो वे किस प्रकार की कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के मामले
हमारे समाज में कई बार उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन होता है। कुछ सामान्य उदाहरण इस प्रकार हैं:
- धोखाधड़ी: दुकानदारों या विक्रेताओं द्वारा घटिया या नकली उत्पाद बेचना, या गलत जानकारी देना।
- महंगे दाम: किसी उत्पाद या सेवा का अत्यधिक मूल्य तय करना, जो उस उत्पाद की असली कीमत से कहीं अधिक हो।
- सेवा में कमी: उपभोक्ता द्वारा लिया गया उत्पाद या सेवा खराब गुणवत्ता का होना, या समय पर सेवा न मिलना।
- पैसे की वसूली: उपभोक्ताओं से बिना कारण पैसे वसूलने या फिर बिना किसी जानकारी के शुल्क बढ़ा देना।
- गोपनीयता का उल्लंघन: उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी का गलत तरीके से उपयोग करना या उसे बेचना।
भारत में उपभोक्ता अधिकारों की स्थिति
भारत में उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न क़ानूनी प्रावधान हैं। भारतीय संविधान में उपभोक्ता के अधिकारों की रक्षा के लिए अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) को शामिल किया गया है। इसके अलावा, भारत में 1986 में “उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम” (Consumer Protection Act, 1986) को लागू किया गया था। इसके तहत उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालयों में शिकायत दर्ज करने का अधिकार प्राप्त है।
2019 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसे “नई उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019” कहा जाता है। इस नए कानून में डिजिटल व्यापार, ऑनलाइन उपभोक्ताओं के अधिकारों और नए तरीके से उपभोक्ता विवाद समाधान के लिए प्रावधान किए गए हैं।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2025 का थीम
हर वर्ष विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के लिए एक विशेष थीम निर्धारित की जाती है। 2025 में, इस दिन के लिए विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की थीम “Digital Rights of Consumers” या “उपभोक्ताओं के डिजिटल अधिकार” हो सकती है, जो डिजिटल लेन-देन, ऑनलाइन सुरक्षा और डेटा संरक्षण से संबंधित मुद्दों को उजागर करती है। इस प्रकार की थीम उपभोक्ताओं को डिजिटल दुनिया में उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि वर्तमान में अधिकतर उपभोक्ता लेन-देन ऑनलाइन हो रहे हैं, और इससे जुड़े कई खतरे हैं।
निष्कर्ष
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस हर वर्ष एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि उपभोक्ता का अधिकार केवल उनके लिए नहीं बल्कि समाज के हर सदस्य के लिए महत्वपूर्ण है। उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना और उनका शोषण न होने देना एक लोकतांत्रिक समाज की जिम्मेदारी है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी हो और वे बाजार में अपनी सुरक्षा और हितों की रक्षा कर सकें।
इसके माध्यम से उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है, और यह दिन हमें अपने समाज में न्याय और समानता की दिशा में एक कदम और बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।




